सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
कुल पेज दृश्य
रविवार, 31 जुलाई 2011
मिठाईलाल इंदौरी
बस यही अपराध मैं हर बार करता हूँ,
आदमी हूँ और मिठाई से प्यार करता हूँ।
मिल जाए वह गर मुझे कहीं अकेले में,
झट से लपक कर डालता हूँ तपेले में।
देखते ही उसको मुँह में लार आती है,
भरी महफिल में भी नियत डोल जाती है।
एक साथ तब दो-दो पर मैं वार करता हूँ,
आदमी हूँ और मिठाई से प्यार करता हूँ।
डायबिटीज का खौफ गर कोई दिखाता है,
मैं नहीं डरता मुझे बचना भी आता है।
डाक्टर की गोली से उस पर वार करता हूँ,
आदमी हूँ और मिठाई से प्यार करता हूँ।
हफ्ते में एक बार जब सराफा जाता हूँ,
रबड़ी में डाल कर गुलाबजामुन खाता हूँ।
पैसे नहीं हो तो लाला से उधार करता हूँ,
आदमी हूँ और मिठाई से प्यार करता हूँ।
(मनोज कुमारजी माफ करें)
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
Beautiful....
जवाब देंहटाएं