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रविवार, 20 फ़रवरी 2011

सत्तू मन मत्तू


सत्तू मन मत्तू, चट घोला पट खाय। सत्तू के बारे में यह कहावत प्रसिद्ध है। ग्रीष्मकाल में सत्तू के दिन आ रहे हैं। सत्तू भारतीय फास्टफूड है। और यह पाश्चात्य फास्टफूड की तुलना में ज्यादा पौष्टिक और निरापद है। पाश्चात्य फास्टफूड मोटापा बढ़ाते हैं और कब्ज व नाना प्रकार के रोग पैदा करते हैं। गेहूँ, चने और जौ के मिश्रण से इसे बनाया जाता है। थोड़ा जीरा भी मिला दो तो स्वाद और निखर आता है। गेहूँ और चने को हल्के भून लेना चाहिए और फिर चारों को चक्की में थोड़ा मोटा पिसवाना चाहिए। शकर के बजाय गुड़ के साथ इसका सेवन स्वास्थयप्रद होता है। गुड़ पानी में घोल कर उसमें आवश्यकता अनुसार सत्तू मिला लें। गुड़ का एक विकल्प है, बाबा रामदेव के स्टालों पर मिलने वाली प्राकृतिक शकर। सत्तू निर्माण का एक आसान तरीका भी है। भूने चने बाजार में मिलते हैं। मिक्सर में इन्हें पीस लें और बाबा रामदेव वाली शकर स्वाद अनुसार मिला कर रख लें। नाश्ते में जब चाहें इसका इस्तेमाल कर सकते हैं। यह कम्पलिट फूड है। तुरंत ऊर्जा देता है। चाहें तो पानी में घोल कर लें या सूखा भी खा सकते हैं।

2 टिप्‍पणियां:

  1. सत्तू वैसे मेरे अलावा कईयों की भी पसंद होगी सर, फिर भी गुड़ के घोल में मिलाकर खाने की तरकीब काफी अच्छी लगी। अब इसे आजमाऊँगा।



    धन्यवाद

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  2. नानी के यहां मिलता था. न नानी रहीं, न मौसी, न मामा... अब भला कौन दे ये चीजें... यादें ही रह गयीं... ननिहाल में एक घर में भाड़ (सही शब्द शायद यही है) होती थी, वहीं पूरे गांव के लोग जाते थे. बार्टर सिस्टम मैंने वहीं देखा था, अधिक नहीं कुल पच्चीस-छब्बीस साल पहले... गांव को गरीबी निगल गयी.. साथ में रिश्तों को भी..

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