सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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मंगलवार, 22 फ़रवरी 2011
शीतलपेय या जहर
अमेरिका के जाने माने पोषण विशेषज्ञ डा.ड्यूक जानसन इन दिनों भारत आए हुए हैं। उन्होंने स्वीकार किया कि शीतल पेय में पोषक तत्व नहीं होते। उल्टे ये भूख मार देते हैं और इन्हें पी कर बच्चे कुपोषण के शिकार हो जाते हैं। भाई जानसन सा. अगर ऐसा था तो फिर आपके मुल्क की कंपनियों ने सारी दुनिया में यह जहर बेच बेच कर खूब पैसा क्यों कमाया। सारी दुनिया को हलाहल पिला कर आप लोगों को क्या मिला। बाबा रामदेव अगर शीतलपेयों के खिलाफ बोलते हैं तो क्या बुरा करते हैं। जानसन सा.भारतीय भोजन दाल, रोटी, तरकारी और चावल को भी बेहतर पोषक भोजन नहीं मानते। उनके अनुसार यह फीलगुड के सिवा कुछ नहीं है। लेकिन भारतीय पोषण विशेषज्ञ फोर्टिस अस्पताल के डाक्टर अनूप मिश्रा उनकी बात से असहमत हैं। डा.मिश्रा का कहना है कि भारतीय भोजन के साथ सब्जियों के सूप और फलों के ज्यूस जोड़ कर समझदार माताएँ उसे और ज्यादा पोषक बना सकती हैं। शीतलपेय की जगह हमारा पारंपरिक शीतलपेय अर्थात गन्ने का रस क्या बुरा है। यह सस्ता भी है और पोषक तत्वों से भरपूर है, तुरंत ताजगी व ऊर्जा देता है।
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बाबा सही कर रहे हैं...
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