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मंगलवार, 7 जुलाई 2015

बूढापा दूर रखे संजीवनी पेय

पुणे के प्राकृतिक चिकित्सक श्री भालेराव का एक अनुभूत फार्मूला है, जिससे बुढ़ापे को दूर रखा जा सकता है। यह सस्ता और सरल है, जिसे हर कोई आजमा सकता है। चार बड़े चम्मच गेहूं और दस ग्राम मैथी दाने लीजिए। दोनों को साफ पानी से अच्छी तरह धो लीजिए। धोने के बाद आधा गिलास पानी में भिगो कर चौबीस घंटे तक रखें। चौबीस घंटे बाद इसे अंकुरण के लिए गीले
कपड़े में बांध कर हवा में लटका दें। आजकल अंकुरण के लिए विशेष तरह के पात्र भी मिलते हैं, चाहें तो उसमें रख दें। जिस गिलास में भिगो कर रखा था वह पानी फेंके नहीं, उसमें आधा नींबू निचोड़ कर थोड़ा सोंठ का चूर्ण और एक चम्मच शहद मिला कर खाली पेट पी लें। यह पेय बहुच पाचक और शक्तिवर्धक होता है। अंकुरित होने पर गेहूं और मैथी दाना में थोड़ा काला नमक, कालीमिर्च और गुड़ मिला कर चबा-चबा कर खा लें। इस फार्मूले से शरीर को एनजाइम्स, लाइसिन, आइसोल्यूसिन और मेथोनाइन जैसे महत्वपूर्ण तत्व मिलते हैं, जो बुढ़ापे की प्रक्रिया को रोकते हैं।
जिन्हें चबाने में तकलीफ हो वे दूसरा फार्मूला आजमा सकते हैं। उन्हें रोज प्रातः एक कप गेहूं और तीन चम्मच मैथीदाना धोकर चार कप पानी में भिगो कर रख देना है। चौबीस घंटे बाद पानी निथारकर उसमें थोड़ा शहद और नींबू निचोड़ कर उसके तीन भाग कर दिन में तीन बार पीना है। सुबह एक भाग पीकर बाकी बचा पेय फ्रीज में रख दें। दूसरा भाग दोपहर में और तीसरा शाम को पी लें। भीगे गेहूं और मैथी दाने को फेंके नहीं। उसमें और पानी मिला कर दूसरे दिन के लिए रख दें। हां तीसरे दिन जरूर नया गेहूं और मैथी दाना लेना चाहिए। पेय पीने के बाद बचे गेहूं और मैथी दाने को चाहें तो सूखा लें और अन्य गेहूं मिला कर पीसवा लें। या फिर पशुओं को खिला दें।

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