1.यह शरीर से विषैले तत्वों को बाहर निकालता है।
2.आयुर्वेद के अनुसार यह जल वात, पित्त और कफ दोषों को संतुलित रखता है।
3.पानी के अनावश्यक बैक्टिरिया को नष्ट करता है।
4.थाइराइड ग्रंथि की कार्य प्रणाली को सामान्य रखता है।
5.ताम्रजल पीने से जोड़ों में यूरिक एसिड जमा नहीं होने पाता। इसलिए जोड़ों के दर्द से बचाता है।
6.इस जल के पीने से त्वचा चमकीली और स्वस्थ रहती है।
7.यह बढ़ती उम्र के प्रभावों को शिथिल करता है। अर्थात बुढ़ापा रोकने में सहायक है।
8.इसे पीने से पाचन ठीक रहता है और एसिडिटी गैस की समस्या नहीं होती।
9.यह शरीर की अतिरिक्त चर्बी को गलाता है यानि वजन घटाने में सहायक है।
10.शरीर के लिए आवश्यक पोषक तत्वों को अवशोषित कर खून की कमीं नहीं होने देता।
11.दिल और दिमाग को स्वस्थ रखता है। साथ ही उच्चरक्तचाप को घटाता है।
12.इसमें एंटीआक्सीडेंट्स होते हैं, जो कैंसर से लड़ने में सहायक हैं।
13.पैरों में ऐंठन को रोकता है। होमियोपैथी में ऐंठने के लिए तांबे से बनी दवा कुप्रम मेटालिकम दी जाती है।
कैसे करें सेवनः तांबे के स्वच्छ पात्र में पानी भर कर उसे किसी लकड़ी की मेज या पटले पर रख दीजिए। कम से कम आठ घंटे रखने के बाद उस पानी का प्रातःकाल बिना कुल्ला किए सेवन कीजिए। चाहें तो इसमें दो-तीन तुलसी के पत्ते भी डाल दें, उससे और लाभ होंगे।
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