पीपल के पत्ते दिल के आकार के होते हैं। शायद प्रकृति ने इन्हें दिल के लिए ही बनाया है। दिल के रोगों के उपचार में ये बहुत कारगर साबित हुए हैं। एक नुस्खा है पीपल के 15 हरे और कोमल पत्ते लीजिए। इनके उपर और नीचे का कुछ हिस्सा कैंची से काट दीजिए। अब इन्हें साफ पानी से धोने के बाद एक गिलास पानी में धीमी आंच पर पकाइए। जब पानी एक तिहाई बचे तो इसे उतार कर ठंडा होने दें। फिर साफ कपड़े से छान कर ठंडे स्थान पर या फ्रीज में रख दें। इस काढ़े की तीन खुराक बना कर सुबह 8 बजे, 11 बजे और 2 बजे ले सकते हैं। खुराक लेने से पहले हल्का और सुपाच्य नाश्ता जरूर कर लें। इसे खाली पेट नहीं लेना चाहिए। लगातार पंद्रह दिन यह काढ़ा लेने से हृदय पूर्ण स्वस्थ हो जाता है। धमनियों में ब्लाकेज हो तो वह भी खुल जाते हैं। प्रयोगकाल में तला-गला, तेज मिर्च मसाले का खाना नहीं खाना चाहिए। इसके प्रयोग के बाद भी सादा खाना ही लेना चाहिए। पीपल के पेड़ की छाल, फल और जड़ का भी औषधियों में प्रयोग होता है। इसके छाल से बनी दवा फिकस रिलिजिओसा मदर टिंचर होमियोपैथी में रक्तस्राव रोकने के लिए दी जाती है। जैसे मासिक धर्म में अधिक रक्तस्राव होने पर इसकी दस बूंद दवा आधे कप पानी में दिन में दो-तीन बार लेने से आराम आ जाता है। नकसीर अर्थात नाक से खून बहने पर भी इसका उपयोग होता है। अगर कोई चोट लग जाए और खून बहना बंद न हो तो फिकस की कुछ बूंदे तुरंत फायदा करती है।
पीपल के फल को सूखा कर पीस कर चौथाई चम्मच चूर्ण एक पाव दूध के साथ कुछ दिन नियमित सेवन करने से वीर्य और बल में वृद्धि होती है। बहनों की अनियमित मासिक धर्म और श्वेत प्रदर की शिकायत में भी यह चूर्ण इसी तरह लिया जा सकता है। बांझ स्त्री को दिया जाए तो संतान सुख मिलता है। इससे कब्ज में भी फायदा होता है।
सुन्दर व सार्थक प्रस्तुति..
जवाब देंहटाएंशुभकामनाएँ।
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