पेट के लिए मुफीदः यह चाय गैस्ट्राइटिस, स्टमक कैंसर और पेप्टिक अल्सर से भी बचाती है। ताजा शोध से पता चला है कि इसके सेवन से कैंसर से लड़ने में मदद मिलती है। इसमें मौजूद फ्लेवेनाइड्स और एंटी आक्सीडेंट्स तत्व कैंसर की कोशिकाओं की वृद्धि को रोकते हैं।
त्वचा रखे स्वस्थः इसके लगातार सेवन से हमारी त्वचा स्वस्थ रहती है। अगर यह चाय तेल की तरह त्वचा पर मलें तो त्वचा में निखार आता है। होमियोपैथी में कैलेंडुला से बनी दवा जख्म भरने में बड़ी मददगार है। इसका मल्हम भी मिलता है जो जख्म को इंफेक्शन से बचाता है।
मासिक धर्मः इसकी चाय के सेवन से महिलाओं में मासिक धर्म के समय होने वाली अनेक समस्याओं से राहत मिलती है। इस दौरान होने वाले पेट दर्द, सिरदर्द और मितली में आराम मिलता है। मेनोपाज के दौरान की तकलीफों से भी कैलेंडुला की चाय राहत दिलाती है।
सर्दी जुकामः सर्दी जुकाम के दौरान भी इसके सेवन से गले की खराश और इंफेक्शन से लड़ने में मदद मिलती है। बुखार व खांसी में राहत मिलती है।
शरीर को रखे स्वच्छः अगर दिन में तीन बार कैलेंडुला की चाय का सेवन किया जाए तो यह शरीर को स्वच्छ बना देती है। लिवर, गालब्लडर और शरीर के अन्य महत्वपूर्ण आंतरिक अंगों को स्वस्थ बनाती है। साथ ही रोगों से उनकी रक्षा करती है।
बनाने का तरीकाः कैलेंडुला के दो तीन फूल की ताजी पंखुड़िया या सूखी लेकर एक डेढ़ कप पानी में उबाल लें। नीचे उतार कर थोड़ा शहद और नींबू निचोड़ लें। बस चाय तैयार है।
बनाने का तरीकाः कैलेंडुला के दो तीन फूल की ताजी पंखुड़िया या सूखी लेकर एक डेढ़ कप पानी में उबाल लें। नीचे उतार कर थोड़ा शहद और नींबू निचोड़ लें। बस चाय तैयार है।
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