इन दिनों स्वाइन फ्लू की दहशत सब दूर छाई हुई है। जिन लोगों के आहार, विहार और विचार सात्विक हैं, उन्हें तो किसी प्रकार के इंफेक्शन का खतरा नहीं होता। लेकिन आधुनिक जीवन शैली में ऐसे लोगों की संख्या बहुत
सीमित है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए आप इन सावधानियों को अपना सकते हैं। स्वाइन फ्लू का वायरस एच1एन1 गले और नाक में सक्रिय रहता है। गले से नीचे पेट में जाते ही मर जाता है इसलिए निम्न उपाय अपनाएं---
1. दिन में बार-बार हाथों को साबुन या हैंडवाश से धोते रहें।
2.नाक, मुंह और आंखों पर हाथों के स्पर्श से बचें।
3.गुनगुने पानी में नमक मिला कर कम से कम दिन में दो बार गरारे करें।
4.दिन में एक बार नाक की सफाई भी नमक मिले गुनगुने पानी से करें।
5.अगर आप जलनेती कर सकते हैं तो और अच्छा है।
6.विटामीन सी वाले फल जैसे नींबू, संतरा, आंवला का सेवन करें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
7.दिन में तीन चार बार गर्म पेय पीएं। जैसे ग्रीन टी, साधारण चाय या काफी या केवल गर्म पानी पीते रहें।
8.आयुर्वेद के अनुसार कपूर और इलायची का पावडर किसी पुराने इनहेलर में भर लें या होमियोपैथी की
एक ड्राम वाली प्लास्टिक की शीशी में भर कर दिन में तीन चार बार सूंघते रहें।
आयुर्वेदः में बचाव के लिए निम्न उपाय हैं--
1. तीन-चार तुलसी के पत्ते, थोड़ी सी अदरक, कालीमिर्च का चुटकी भर पावडर और चुटकी भर हल्दी को पानी में उबाल कर दो बार सुबह शाम पीएं। इन्हें चाय में डाल कर भी पी सकते हैं।
2.गिलोय (अमृता) का सत दो रत्ती या चौथाई ग्राम मात्रा में लेकर आधा गिलास पानी में डाल कर पीएं।
3.चुटकी भर हल्दी पावडर गर्म दूध या पानी के साथ पी सकते हैं।
4.आधा चम्मच आंवला पावडर आधा कप पानी में मिला कर दो बार पी सकते हैं।
होमियोपैधी में बचाव के उपाय---
इंफ्लूएंजिनम-200 की तीन चार गोलियां पांच दिन तक लगातार सुबह ले सकते हैं।
सीमित है। स्वाइन फ्लू से बचाव के लिए आप इन सावधानियों को अपना सकते हैं। स्वाइन फ्लू का वायरस एच1एन1 गले और नाक में सक्रिय रहता है। गले से नीचे पेट में जाते ही मर जाता है इसलिए निम्न उपाय अपनाएं---
1. दिन में बार-बार हाथों को साबुन या हैंडवाश से धोते रहें।
2.नाक, मुंह और आंखों पर हाथों के स्पर्श से बचें।
3.गुनगुने पानी में नमक मिला कर कम से कम दिन में दो बार गरारे करें।
4.दिन में एक बार नाक की सफाई भी नमक मिले गुनगुने पानी से करें।
5.अगर आप जलनेती कर सकते हैं तो और अच्छा है।
6.विटामीन सी वाले फल जैसे नींबू, संतरा, आंवला का सेवन करें। इससे रोग प्रतिरोधक क्षमता बढ़ती है।
7.दिन में तीन चार बार गर्म पेय पीएं। जैसे ग्रीन टी, साधारण चाय या काफी या केवल गर्म पानी पीते रहें।
8.आयुर्वेद के अनुसार कपूर और इलायची का पावडर किसी पुराने इनहेलर में भर लें या होमियोपैथी की
एक ड्राम वाली प्लास्टिक की शीशी में भर कर दिन में तीन चार बार सूंघते रहें।
आयुर्वेदः में बचाव के लिए निम्न उपाय हैं--
1. तीन-चार तुलसी के पत्ते, थोड़ी सी अदरक, कालीमिर्च का चुटकी भर पावडर और चुटकी भर हल्दी को पानी में उबाल कर दो बार सुबह शाम पीएं। इन्हें चाय में डाल कर भी पी सकते हैं।
2.गिलोय (अमृता) का सत दो रत्ती या चौथाई ग्राम मात्रा में लेकर आधा गिलास पानी में डाल कर पीएं।
3.चुटकी भर हल्दी पावडर गर्म दूध या पानी के साथ पी सकते हैं।
4.आधा चम्मच आंवला पावडर आधा कप पानी में मिला कर दो बार पी सकते हैं।
होमियोपैधी में बचाव के उपाय---
इंफ्लूएंजिनम-200 की तीन चार गोलियां पांच दिन तक लगातार सुबह ले सकते हैं।
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