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शनिवार, 6 अप्रैल 2013

त्रिगुणी नाश्ता

दफ्तर में अक्सर भूख लगती है। क्या नाश्ता करें।  लोग केंटिन से कचोरी, समोसा, आलू बड़ा, पोहे
या सेंडविच मंगा कर खा  लेते हैं। इससे भूख तो मिट जाती है, लेकिन रोज-रोज इन्हें खाने से पेट की बारह बज जाती है। गैस, कब्ज, अपच और अन्य अनेक रोगों को आमंत्रित करता है यह नाश्ता। इससे वास्ता न ही रखें तो अच्छा। आइए हम आपको एक सस्ते-सुंदर और पौष्टिक नाश्ते से परिचित कराते हैं। तीन चीजों के योग से बना यह त्रिगुणी नाश्ता आपको जरूर पसंद आएगा। वैसे आप रोज या कभी-कभार इन तीनों चीजों का अलग-अलग उपयोग करते होंगे। आधा किलो भुने चने छिलके सहित, इतनी ही मात्रा में मुंमफली के नमकीन दाने भूने हुए और डेढ़ सौ ग्राम किशमिश। तीनों को मिला कर एक एयर टाइट डिब्बे में भर कर रख लीजिए। आफिस में जब भी भूख लगे एक मुठ्ठी भर त्रिगुणी नाश्ते को अच्छी तरह चबा-चबा कर खाइए और सहयोगियों को भी खिलाइए। इससे आपकी क्षुधा भी शांत होगी और पेट भी ठीक रहेगा। यह न तो पेट बिगाड़ेगा और न कब्ज करेगा। पौष्टिकता में तो यह बेजोड़ है।
चनाः यह भारतीय आहार का बेजोड़ नायक है। घोड़े का प्रिय आहार है, इसे खाकर वह कैसे सरपट दौड़ता है। प्रसिद्ध नेचरोपैथ सोहनलालजी चने को हार्स पावर कहते थे। यह त्रिगुण नाश्ता उन्हीं की खोज है। उनके चिकित्सा केन्द्र पर इसके पैकेट मिलते थे। चने में ए बी सी सभी प्रकार के विटामिन भरपूर होते हैं। एन्जाइम तथा खनिज लवणों से भी यह लबरेज है। प्रोटीन का बढ़िया स्रोत है चना। कहावत प्रसिद्ध है खाएगा चना तो रहेगा बना। चने से हृदयरोग, मधुमेह, उन्माद, प्रदर, रक्तचाप, स्नायिविक तथा धातु दोष दूर होते हैं। रात्रिकाल में अगर भुना चना खाकर दूध पीया जाए तो कब्ज, कफ और जुकाम दूर होता है।
मुमफलीः इसे गरीबों का काजू कहा जाता है। बकरी का दूध और मुंमफली गांधीजी का प्रिय आहार था। लेकिन इसे खूब चबा चबा कर खाना चाहिए अन्यथा गैस करती है। मुमफली में भी कईं तरह के विटामिन्स व प्रोटीन की मात्रा भरपूर है। इसके प्रोटीन उतकों का शीघ्र निर्माण और टूट फूट की शीघ्र मरम्मत करते हैं। मुंमफली में पाइरोडाक्सिन तथा लेसिथीन भी पर्याप्त होते हैं। यह मस्तिष्क व स्नायुओं के लिए श्रेष्ठ औषधि है। मुंमफली का तेल जैतुन के तेल का मुकाबला करता है। यह व्रणरोधक तथा कांतिवर्धक है।
किशमिशः मनुक्का और किशमिश में प्रचुर मात्रा में श्रेष्ठ किस्म का कार्बोज होता है। इसकी शर्करा शरीर में शीघ्रता से अवशोषित होकर ऊर्जा, शक्ति तथा ताप प्रदान करती है। किशमिश मनुक्का शीघ्रता से आरोग्य प्रदान करते हैं। इन्हें खाने से शरीर शुद्ध, रक्त शुद्ध तथा रक्त का निर्माण तेजी से होता है। ये शरीर को उचित रीति से पोषण देते हैं। यह शरीर में अम्ल व क्षार के संतुलन को बनाते हैं। शरीर से विषाक्त पदार्थों को निकालने में सहायक होते हैं। कब्ज को दूर करते हैं। टाइफाइड और अन्य ज्वर विकार में औषधि के साथ प्रबल शक्तिदायक आहार का काम करते हैं। अब तो आपको यकीन हो गया होगा कि यह नाश्ता कितना शक्तिवर्धक और गुणों से भरपूर है। 
 अपने शरीर को क्यों तलते होः कचोरी, समोसे रिफाइंड तेलों में बार-बार तले जाते हैं। यह तेल 300 डिग्री से अधिक तापमान पर कढ़ाई में खौलता रहता है। जब तेल उच्च तापमान पर बार-बार गर्म किया जाता है तो उसमें जानलेवा ट्रांसफैट बन जाते हैं। तेल को 300 डिग्री तक गर्म करने पर उसमें  कैंसरकारक नाइट्रोसेमीन्स रसायन भी बन जाते हैं। तेल को जितनी बार गर्म करेंगे उसमें ट्रांसफैट की मात्रा उतनी बार बढ़ती जाती है। जरा सोचिए ऐसे तेल में तले पदार्थ खाना कितना घातक है।

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