सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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सोमवार, 12 दिसंबर 2011
कितना खतरनाक है माइक्रोवेव का भोजन
अलसी गुरु डा.ओपी वर्मा हम लोगों के स्वास्थ्य के लिए नित नई बातें खोज कर लाते हैं। कभी आइस्क्रीम की पोल खोलते हैं तो कभी तेल और तड़के के नुक्सानों से रुबरु कराते हैं। हाल ही उन्होंने माइक्रोवेव ओवन के खतरों से आगाह कराया है। यहाँ पेश है उनके आलेख की एक झलक पूरा आलेख आप bhadas4media.com पर देख सकते हैं।
रूस ने क्यों और कैसे किया माइक्रोवेव को प्रतिबंधित
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद रूस में भी रेडियो टेक्नोलोजी संस्थान, क्लिंस्क बाईलोरशिया ने माइक्रोवेव ओवन के कुप्रभावों पर काफी प्रयोग और शोध-कार्य किये। अमेरिका के शोधकर्ता विलियम कोप ने रूस और जर्मनी में माइक्रोवेव से संबंधित शोध कार्यों की व्याख्या की और लोगों के सामने रखा। इसके लिए इस बेचारे को अमरीकी सरकार ने व्यर्थ परेशान किया और उस पर मुकदमा भी दायर किया। रूस में शोध से ये बातें सामने आई थी।
1.माइक्रोवेव के प्रभाव से आणविक विघटन होता है, जिससे भोजन में भारी मात्रा में अप्राकृतिक रेडियोलाइटिक यौगिक बन जाते हैं। ये रक्त को नुकसान पहुँचाते हैं और शरीर की रक्षा-प्रणाली को कमजोर बनाते हैं। वैसे तो सामान्य तरीके से भोजन पकाने पर भी थोड़े बहुत रोडियोलाइटिक यौगिक बनते हैं, लेकिन मात्रा नगण्य होने की वजह से शरीर को नुकसान नहीं पहुँचा पाते हैं। शायद इसलिए भी आहारशास्त्री अपक्व आहार की अभिशंसा करते हैं।
2.माइक्रोवेव ओवन में खाना पकाने से उसमें कैंसर पैदा करने वाले खतरनाक तत्व डी-नाइट्रोडाइ इथेनोलेमीन (d-Nitroso-di-ethanolamine) बन जाते हैं।
3.प्रोटीन के अणु अस्थिर और निष्क्रिय हो जाते हैं। दूध और अनाज में विद्यमान प्रोटीन-हाइड्रोसाइलेट यौगिक में भी कैंसरकारी कण बन जाते हैं।
4.माइक्रोवेव में पकाने से फलों में विद्यमान ग्लूकोसाइड और गेलेक्टोसाइड का पाचन और चयापचय भी बुरी तरह प्रभावित होता है। सब्जियो में मौजूद अल्केलोइड भी निष्क्रिय हो जाते हैं।
5.माइक्रोवेव में पकाने से कंदमूल सब्जियों जैसे आलू, अरबी, मूली आदि में कैंसरकारी मुक्तकण बन जाते हैं।
6.माइक्रोवेव में बना खाना खाने से रक्त में कैंसर कोशिकाओं और मुक्तकणों का प्रतिशत बढ़ जाता है।
7.माइक्रोवेव में पका खाना खाने से स्मरणशक्ति, एकाग्रता, बुद्धिमत्ता और भावनात्मक स्थिरता कमजोर पड़ती है। लंबे समय तक नियमित माइक्रोवेव का खाना खाने से मस्तिष्क की कोशिकाओं में शार्ट सर्किट होने लगता है और मस्तिष्क स्थाई रूप से क्षतिग्रस्त होने लगता है।
8.माइक्रोवेव में पका खाना खाने से पुरुष और स्त्री हारमोन्स का स्राव कम होता है।
9.माइक्रोवेव से भोजन की रासायनिक बनावट बिगड़ जाती है जिससे शरीर का लिम्फेटिक सिस्टम भी ठीक से काम नहीं कर पाता और रक्षाप्रणाली (Immunity) कमजोर पड़ जाती है।
10.माइक्रोवेव में पकाने से भोजन में आई अस्थिरता और विकृति के कारण पाचनतंत्र संबंधी रोग हो जाते हैं। यहां तक कि आमाशय और आँतों का कैंसर भी हो सकता हैं और पाचन तथा उत्सर्जन तंत्र भी कमजोर पड़ जाता है।
11.माइक्रोवेव में पकने से भोजन की गुणवत्ता और पौष्टिकता पर बहुत बुरा असर पड़ता है। विटामिन बी-कॉम्प्लेक्स, विटामिन-सी, विटामिन-ई, खनिज, वसा अम्ल नष्ट होजाते हैं, मांस में विद्यमान न्युक्लियोप्रोटीन्स निष्क्रिय हो जाते हैं और सभी खाद्य तत्वों का थोड़ा-बहुत संरचनात्मक विघटन होता ही है।
इन कारणों से रूस ने 1976 में माइक्रोवेव को पूरी तरह प्रतिबंधित कर दिया था, लेकिन रूस के राजनीतिक संक्रमण के बाद की नई सरकार ने यह प्रतिबंध खत्म कर दिया।
इतना सब जानने के बाद भी यदि आप इसे अपनाते हैं, तो शरीर है आपका मर्जी है आपकी।
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