सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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रविवार, 4 दिसंबर 2011
ज्यों की त्यों धर दिनी चदरिया
देव साहब ने दास कबीर की तरह जतन से ओढ़ कर इस चदरिया को ८८ बरस की आयु में ज्यों की त्यों धर दी। ६५ साल के लंबे फिल्मी करियर में कदम के निशां बना कर ऐसे सहज रूप से चले गए। कोई शोर न कोई रुदन। मेडिकल चेकअप के लिए गए थे और वहीं अपनी पारी खत्म कर दी। पहले कभी खबर न पढ़ी थी न सुनी थी कि देव साहब दवाखाने गए। काजल की कोठरी में रह कर भी कोई इतना कोरा रह सकता है, इसकी अनुपम मिसाल हैं देव आनंद।
जाते-जाते कह गए इस नश्वर देह को यहीं पंचतत्व में विलिन कर दो। सबै भूमि गोपाल की। क्या लंदन और क्या भारत। ये सीमा रेखाएं तो हम मुनष्यों की बनाई है। ईश्वर ने तो एक धरती बनाई। गीता के अनुसार वे सदैव कर्मशील रहे। अपने अंतिम दिनों में भी एक अमेरिकी फिल्म पर कार्य कर रहे थे। हम दोनों का गीत हर फिक्र को धुँए में उड़ाता चला गया, उन पर पूरी तरह सटीक रहा। कई फिल्में की कुछ सफल तो कुछ असफल रही। किसी सफलता पर न जश्न मनाया न किसी असफलता पर विलाप किया। वाह देव साहब आप एक संत सितारा थे। आपका जीवन सदैव लोगों को प्रेरणा देता रहेगा। पिछले दो माह में अनेक हस्तियाँ बारी-बारी बिछड़ गई। जगजीतसिंह गए, शम्मी कपूर गए, भूपेन दा और अब देव साहब।
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