सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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गुरुवार, 24 नवंबर 2011
अपने गुर्दे बचाइए
दर्द नाशक दवा जब असर नहीं करती तो लोग डोज बढ़ा कर खाना शुरू कर देते हैं। लेकिन खबरदार ऐसा करने से पहले दस बार सोचिए, वरना वैज्ञानिकों की चेतावनी है कि कहीं आप अपने गुर्दे (किडनी) खराब न कर बैठें।
पैरासिटामाल की रोज-रोज मात्रा बढ़ाकर खाते रहना घातक हो सकता है, चाहे बढ़ाई गई मात्रा कितनी भी छोटी क्यों न हो। विशेषज्ञों का कहना है कि खुराक से ज्यादा गोलियाँ रोज खाने से हफ्तों में या फिर महीनों में इसका खतरनाक असर हो सकता है।
एडिनबरा युनिवर्सिटी के शोधकर्ताओं ने इस विषय पर शोध किया है। 161 मामलें में 'ओवरडोज' यानी ज्यादा खुराक से विपरीत परिणाम देखने को मिले। पुराने दर्द को भगाने के लिए पैरासिटामाल ले रहे लोगों को ये पता नहीं चल सकता कि कब खुराक ज्यादा हो गई है और किडनी यानी गुर्दे पर असर पड़ने लगा है। शोधकर्ताओं ने बताया कि जान को खतरे में डालने वाले ये लक्षण मरीजों और यहाँ तक कि डॉक्टरों की निगाहों से भी बच सकते हैं। डॉक्टरों को खून की जाँच से इनका पता नहीं चल सकता, क्योंकि सामान्य जाँच में लक्षण तभी अधिक स्पष्ट होते हैं जब एक ही बार में दवा की ज्यादा खुराक ली जाए। प्रोफेसर रोजर नैग्स, रॉयल फार्मासुटिकल सोसायटी की रिपोर्ट इस बात का इशारा करती है कि जो लोग रोज थोड़ी-थोड़ी ज्यादा खुराक लेते हैं उनका हश्र उन लोगों से बुरा होता है जो एक ही बार में बहुत बड़ी खुराक ले लेते हैं। इस खोज में यूनिवर्सिटी के अस्पताल में 663 मरीजों की जाँच की जिनके गुर्दे खराब थे। इनमें 161 मामले ऐसे थे जिनमें पैरासिटामाल की थोड़ी ज्यादा खुराक रोज ली गई थी। प्रोफेसर रोजर नैग्स के अनुसार 'अगर लोगों को दर्द होता है और पैरासिटामाल से लाभ नहीं मिलता तो उन्हें दवा की खुराक बढ़ाने के बारे में नहीं सोचना चाहिए। बजाय इसके उन्हें डॉक्टर की सलाह लेनी चाहिए और दर्द जिस वजह से हो रहा है उस पर मदद लेनी चाहिए."
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