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रविवार, 23 अक्तूबर 2011

धन्वंतरी के दूत


आज धनतेरस भी है और धन्वंतरी जयंती भी है। आयुर्वेद के जनक भगवान धन्वंतरी की आज के दिन पूजा की जाती है। मंदसौर में धन के देवता कुबेर और सेहत के देवता धन्वंतरी दोनों के मंदिर हैं। सच्चा धन तो स्वस्थ तन ही है। अंग्रेजी में कहावत है हेल्थ इज वेल्थ। लेकिन आजकल लोग इसका उल्टा कहते और समझते हैं-वेल्थ इज हेल्थ। ज्यों-ज्यों बैंकों में वेल्थ बढ़ती है, तन पर एफडी (फेट डिपाजिट) चढ़ती है। असल में तो पहला सुख निरोगी काया है। काया अगर रुग्ण हुई तो धन कैसे कमाएंगे और रुग्ण काया धन का उपभोग करने काबिल भी नहीं रहती। तमिलनाडु के हाल ही संपन्न निकाय चुनावों में १०२ वर्ष की एक महिला थदाहथी मदुराई जिले के पुडुकुलम में पंचायत प्रतिनिधि चुनी गई हैं। वह गाँव में डाक्टर की तरह विख्यात हैं। १०२ वर्ष तक अपनी सेहत के साथ-साथ दूसरों की सेहत को भी दुरुस्त रखना सचमुच एक साधना है। सूचना मिलते ही पीड़ितों तक तुरंत पहुँचती हैं और पारंपरिक दवाओं से उनका उपचार करती है। अब तक एक हजार प्रसूतियाँ करा चुकी है। गाँव का हर व्यक्ति स्वस्थ और सुखी रहे, यही उनका ध्येय है। उनका सपना है कि गाँव में हर बाशिंदे को रोटी, कपड़ा मकान और स्वच्छ जल मिले। इसके लिए ही उन्होंने पंचायत का चुनाव लड़ा और गाँव वालों ने इस उम्र में भी जिताया। ऐसे लोग ही भगवान धन्वंतरी को प्रिय हैं। आजकल तो चिकित्सा कर्म लूट-खसोट का जरिया बनता जा रहा है। थदाहथी जैसे अनेक देवदूत इस पृथ्वी पर प्राणियों की सेवा निष्काम भाव से कर रहे हैं। धन्वंतरी जयंती पर तन और मन को स्वस्थ रखने का संकल्प लें। खुद भी अपना स्वास्थ्य ठीक रखें और परिवार तथा मित्रों की भी सेवा करें। शरीर स्वस्थ है तो लक्ष्मी माता भी प्रसन्न होकर आपके पास दौड़ी चली आएंगीं। पहला सुख निरोगी काया।

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