सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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रविवार, 4 सितंबर 2011
पपीतों की बहार
पपीते की इन दिनों अच्छी नस्ल फिर बाजार में आई है। मुझे पपीता खूब पसंद है, गुरुदेव डा.वासुदेव शर्मा भी पसंद करते थे। आज शिक्षक दिवस उनका जन्मदिन है। कहते थे आय एम बोर्न टीचर। डा.वासुदेव शर्मा के शब्दों में फल कुदरती मिठाई है। हमारी बनाई मिठाई में गड़बड़ हो सकती है। लेकिन कुदरत ऐसा हलवाई है कि न रत्ती घटे न माशा बढ़े जैसी स्थिति होती है। मैं और डाक्टर बिल्लौरे जन्मदिन पर उनके लिए मिठाई की जगह पपीता ही ले जाते थे।
वैसे अमरूद के बाद पपीता पापी पेट की सबसे अच्छी दवा है। पिछले साल अच्छे पपीते मिलना दुर्लभ हो गया था। वैसे कहा जाता है कि एक वर्ष जो फल अधिक और अच्छे आते हैं, दूसरे वर्ष कम हो जाते हैं। शायद पेड़ भी थक जाते हैं और एक वर्ष विश्राम करते हैं। इसीलिए एक-एक वर्ष के अंतराल से फलों की बहार देते रहते हैं।
जिन लोगों को पेट और पाचन संबंधी रोग हो उन्हें पपीते का नियमित सेवन करना चाहिए। कब्ज से भी मुक्ति दिलाता है पपीता। पीलिया रोग में पपीता खाने की सलाह वर्षों से दी जाती रही है। यह लीवर और प्लीहा वृद्धि को दूर करता है। आम के बाद सर्वाधिक विटामिन ए पपीते में ही होता है। इसमें विटामिन सी भी बहुतायत से होता है, पके पपीते में इसकी मात्रा ६८ से १३६ मिलीग्राम होती है। इसमें पाया जाने वाला पेपीन, प्रोटीन को पचाने में सहायक होता है। कच्चे पपीते का रस पेट के कृमियों का नाश करता है। पपीते का मूल वतन मेक्सिको और वेस्टइंडीज टापू हैं। सत्रहवीं शताब्दी के प्रारंभ में यह भारत, अमेरिका और आस्ट्रेलिया पहुँचा। अब तो शायद पूरी दुनिया में पहुँच गया है। डा.लिटन बर्नार्ड का दावा है कि पपीता वृद्धावस्था को रोकता है और कायाकल्प करता है। अधिक मात्रा में अंग्रेजी दवा लेने से आँतों के मित्र जीवाणु नष्ट हो जाते हैं। पपीते के सेवन से उनकी पुनः वृद्धि हो जाती है। आयुर्वेद के अनुसार पपीते की तासीर गर्म है। इसलिए गर्म तासीर वालों और गर्भवती महिलाओं को इसके सेवन से बचने की सलाह दी जाती है। पके पपीते के बीज तृषाशामक और कृमि नाशक माने जाते हैं।
कुछ लोगों को पपीता काटना और छीलना झंझट लगता है। उनके लिए प्राकृतिक चिकित्सक डा.सोहनलालजी का तरीका अतिउत्तम है। पपीते को बीचोबीच से काट कर दो भाग कर लीजिए। फिर उसके बीज निकाल कर चम्मच से कुरेद कुरेद कर खाते जाइए। जैसे कप में से आइसक्रीम खा रहे हों। पपीते बेचने वाले भी अगर इस तरह से ग्राहकों को पपीता व चम्मच उपलब्ध कराएं तो उनकी बिक्री भी बढ़ सकती है और चलते-फिरते लोग भी बाजार में पपीते का सेवन कर सकते हैं।
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हौं सही कहा ....हैदराबाद से पपीतों की नई बहार आई है .. जो सचमुच रसीली तथा स्वाद से भरपूर है ..दीगर फलों से आपेक्षा कृत सस्ता है सो अलग ...............
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