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गुरुवार, 4 अगस्त 2011

वायरल फीवर का आसान इलाज


इन दिनों वायरल फीवर बहुत फैल रहा है। हाथ पैर, सिर में दर्द, पीठ में दर्द के साथ तेज बुखार। साथ में सर्दी खाँसी। एलोपैथी में सिवा एंटी बायोटिक के कोई दवा नहीं है। सबसे बड़ी विसंगति तो यह कि फीवर वायरल है और दवा एंटी बायोटिक दी जाती है। दो-तीन दिन में यह तोड़ कर रख देता है। बाद में बेहद कमजोरी महसूस होती है। टाटा की इस्पात नगरी में तो एक माह के दौरान 55 हजार लोगों को वायरल ने जकड़ा। वहाँ इससे अफरा-तफरी मची है। होमियोपैथी में जेल्सिमियम-200 और यूपेटोरियम पर्फ-200 इसकी कारगर दवा है। पहले एक डोज जेल्सिमियम और फिर यूपेटोरियम का अदल-बदल कर तीन-तीन घंटे के अंतर से लेना चाहिए। तेज बुखार हो तो सिर पर ठंडे पानी की पट्टी रखनी चाहिए। बायोकाम्बिनेशन नम्बर ग्यारह की आठ-दस गोलियाँ आधा कप पानी में घोल कर प्रति घंटे एक-एक चम्मच देने से भी बुखार में राहत मिलती है। बुखार उतरने के बाद कमजोरी दूर करने के लिए अर्निका 1 एम की दो-तीन खुराक लेने से आराम मिलता है। इस दौरान खान-पान का विशेष ध्यान रखना जरूरी है। दलिया और फलाहार लेना चाहिए। भारी खाने से बचना चाहिए। अगर खाँसी ज्यादा हो तो बहेड़ा के छिलके चूसने से लाभ मिलता है। नमक के गर्मपानी से गरारे भी किये जा सकते हैं। बुखार आने से पूर्व अगर हरारत जैसे लक्षण लगे तो तुरंत एक दो डोज जेल्सिमियम 200 की लेने से बुखार की स्थिति टल भी सकती है।

2 टिप्‍पणियां:

  1. हमारे देश और परिवेश को ऐसे कारगर इलाजों का संज्ञान लेना चाहिए ... जिनसे स्वास्थ्य, समय और धन तीनो का लाभ होता है ... वर्ना बुखार और उससे लड़ने का खर्च कमर तोड़ ही देता है ....!!!

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  2. बुखार से ग्रस्त हूँ। कल दवा लेता हूँ। धन्यवाद।

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