सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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गुरुवार, 14 जुलाई 2011
आजकल लेखन में हुई, हुआ, हुए शब्दों का बलात प्रयोग बढ़ता जा रहा है। ऐसा नहीं कि ये शब्द अनुपयोगी हैं, जहाँ आवश्यक हों वहाँ तो इनका इस्तेमाल होना ही चाहिए। मगर अनावश्यक इस्तेमाल खिचड़ी में कंकड़ की तरह खटकता है। हुई, हुआ, हुए दोष के कुछ उदाहरण देखिए।
1-देवास के पास हुई दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई।
2-क्लिंटन-कृष्णा हुई वार्ता के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
3-मुम्बई के झवेरी बाजार, दादर वेस्ट और ओपेरा हाउस में हुए धमाकों में 21 लोगों की मौत हो गई और 100 घायल हो गए।
4-मरीमाता चौराहा क्षेत्र में गत दिनों हुए तिहरे हत्याकांड में एक आरोपी की पत्नी भी हमले में शामिल थी।
5-कांग्रेस और द्रमुक के बीच हुआ समझौता शीघ्र ही लागू किया जाएगा।
अब इन हुई, हुआ, हुए के बगैर बने वाक्य आजमाते हैं-
1-देवास के पास दुर्घटना में तीन लोगों की मौत हो गई।
2-क्लिंटन-कृष्णा वार्ता के बाद समझौते पर हस्ताक्षर किए गए।
3-मुम्बई के झवेरी बाजार, दादर वेस्ट और ओपेरा हाउस में धमाकों से 21 लोगों की मौत हो गई और 100 घायल हो गए।
4-मरीमाता चौराहा क्षेत्र में गत दिनों तिहरे हत्याकांड में आरोपी की पत्नी भी हमले में शामिल थी।
5-कांग्रेस-द्रमुक समझौता शीघ्र ही लागू किया जाएगा।
देखा आपने बगैर हुई, हुए और हुआ के वाक्यों का कुछ नहीं बिगड़ा और उल्टे उनमें निखार आ गया। तो जहाँ भी मौका मिले अनावश्यक हुई, हुआ, हुए की हत्या करते जाइए। इससे आपको पाप नहीं लगेगा, बल्कि भाषा की रक्षा का पुण्य मिलेगा।
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