सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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शनिवार, 9 अप्रैल 2011
चिकित्सा जगत की शुद्धि का बीड़ा
अण्णा हजारे के अनशन से प्रेरित होकर इंडियन मेडिकल एसोसिएशन ने चिकित्सा जगत को भ्रष्टाचार मुक्त करने की घोषणा की है। अगर ऐसा हो सका, तो यह पीड़ित मानवता की महान सेवा होगी। मूलतः सेवा का यह क्षेत्र, इन दिनों चंद स्वार्थी लोगों और ड्रग माफियों के गठजोड़ का केन्द्र बन गया है। ये लोग कितने जालिम है कि दुखी लोगों को ठगने में भी शर्म नहीं खाते। कोई मरीज इन लोगों के चंगुल में फँसा नहीं कि उसे उल्टे उस्तरे से मुँडने की फिराक में रहते हैं। बिना जरूरत के ड्रिप लगाना, एंजियोप्लास्टी या बायपास कर देना, जरूरत न हो तो भी महँगी-महँगी जाँचे कराना इन दिनों आम हो गया है। सेवा का बोर्ड लगा कर मेवा कूटा जा रहा है। बीमार की बीमारी बनी रहे ताकि इनकी जेबें भरी रहे, यही इनका मूलमंत्र है। ऐसा नहीं कि सारे के सारे डाक्टर डाकू हैं। कईं देवदूत चिकित्सक भी हैं, पर इन दिनों उनकी संख्या उंगलियों पर गिनने लायक ही रह गई है। आईएमए को इस घोषणा के लिए साधुवाद। आओ हम सब मिल कर कामना करें कि अण्णा की तरह आईएमए का मिशन भी सफल हो।
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आपने सही लिखा..
जवाब देंहटाएंभ्रष्ट्राचार एक राष्ट्रव्यापी समस्या है। इस पर अनेकों मोर्चों पर एकसाथ हमला करने की आवश्यकता है।
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