
कुट्टू बदनाम हुआ, हाय व्रत तेरे लिए। नवरात्र में माता का उपवास करने वालों ने कुट्टू के आटे से बने पूड़ी और पकौड़े खाए और उत्तरप्रदेश, दिल्ली व पंजाब में कोई 300 से अधिक लोग विषाक्त भोजन (foodpoisining) के शिकार हो गए। कुट्टू बेचार फिजूल बदनाम हो गया। जबकि कुट्टू(buckwheat) पौष्टिक तत्वों से भरपूर है। इसमें पंद्रह प्रकार के एमिनो एसिड्स पाए जाते हैं। विशेषकर लाइसिन, थ्रेओनाइन, ट्रायपटोफेन और सल्फरयुक्त एमिनो एसिड के लिए इसका सेवन मुफीद होता है। यह लौह और सेलेनियम से भी भरपूर है। कुट्टू में ग्लुकोसाइड होता है, जो ब्लड केपिलरीज को मजबूती प्रदान करता है। रक्तस्राव रोकने में यह मददगार है। इसमें पाया जाने वाला डिसिरो इनोसिटाल टाइप टू डायबिटिज रोगियों के लिए फायदेमंद होता है। इसका प्रोटीन प्लाजमा कोलेस्ट्रोल को कम करता है। एंटीआक्सीडेंट से भरपूर है कुट्टू। फिर भी बदनाम हुआ। क्यों जरा इस बात पर विचार करें। या तो आटा मिलावटी या अधिक पुराना हो सकता है। लेकिन इसे खाने वाले सभी तो बीमार नहीं पड़े।
दूसरी बात अगर आप उपवास में पूड़ी और पकौड़े खाओगे तो बीमार तो पड़ना ही है। उपवास छोड़ते समय हल्का व सुपाच्य आहार लेना चाहिए। सबसे अच्छा है फलाहार से उपवास त्यागा जाए। लेकिन लोग खाली पेट पर पूड़ी पकोड़ों की बमबार्डिंग करते हैं। अब भला पेट इसे कैसे बर्दाश्त कर सकता है। अगर आप कट्टू की छाती पर मूँग दलोगे, पूड़ी-पकौड़े बना कर उसे तलोगे, तो वह कुपित होगा ही। वह कोई गौतम बुद्ध थोड़े ही है। आजकल उपवास में लोग भूखे पेट चाय पी-पी कर हाजमा खराब करते हैं। एसिडिटी को भड़काते हैं और फिर फरियाल करते हैं। फरियाल याने तरह-तरह के अपाचक व्यंजन। जैसे-साबूदाने की खिचड़ी, आलू या सिंघाड़े के आटे का हलवा, कट्टू के पूड़ी-पकौड़े, साबूदाने की टिकिया वगैरह-वगैरह। ऐसे व्रत उपवास से तो दोनों समय सामान्य भोजन करना भला। उपवास करें तो उसके विधि विधान से अन्यथा उपवास सेहत बिगाड़ देगा। पुण्य के बजाय पाप देगा। उपवास के लिए मुस्लिम और जैन भाइयों की प्रशंसा करनी चाहिए जो नियम संयम से करते हैं। व्रत या उपवास इच्छाओं पर काबू पाने के लिए किया जाता है, शरीर शुद्धि का लाभ बोनस में मिल जाता है। अगर आप छः घंटे भी बिना खाए नहीं रह सकते तो लानत है, ऐसे उपवास पर।
पुनश्चः कुट्टू दिल की सेहत के लिए अच्छा होता है, क्योंकि इसमें मेगनेशियम पाया जाता है। फायबर का भंडार है कुट्टू। गेहूँ के आटे और कुट्टू के आटे में केलोरिज समान होती है। लेकिन कुट्टू में प्रोटीन व विटामिन्स अधिक होते हैं। लौहा, फासफोरस और केल्शियम भी होता है। पश्चिम में वजन घटाने के लिए कुट्टू का सेवन किया जाता है। इसमें फायटोन्यूट्रीएंट होते हैं, जो कोलेस्ट्रोल व रक्तचाप पर नियंत्रण करते हैं। गेहूँ में ग्लुटेन होता है, जो कुछ लोगों को एलर्जी करता है। कुट्टू में यह नहीं होता।
बिल्कुल सही..
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