सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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मंगलवार, 8 मार्च 2011
आते जाते दाँत
दाँत आते और जाते दोनो समय कष्ट देते हैं। बच्चों के दाँत जब आते हैं तो कभी किसी को दस्त लग जाते हैं, तो किसी की लार टपकती है। कोई बच्चा चिड़चिड़ा हो जाता है। ऐसे समय होमियोपैथी बड़े काम आती है। केमोमिला ३० पोटेंसी में ले आएं, इसकी दो तीन खुराक से ही आराम आ जाता है। हरे पीले दस्त बंद हो जाते हैं। बच्चे की चिड़चिड़ भी थम जाती है। असल में बच्चा जब तीन माह का हो जाए तो उसे बायोकाम्बिनेशन नम्बर-२१ देना शुरु कर दें। आरंभ में एक-एक गोली पीस कर उसकी जबान पर डाल दें। अगले माह से दो-दो गोली दिन में दो बार कर दे। आवश्यकता अनुसार तीन बार भी दी जा सकती है। इस दवा को दाँत निकलने तक जारी रखें। यह निरापद है कोई हानि नहीं करती।
• अब जाते दाँत की बात करते हैं। उचित देखभाल के अभाव में कुछ लोगों के दाँत जल्दी साथ छोड़ने लगते हैं। जाते-जाते बड़ी पीड़ा देते हैं। ठंडा गरम लगने लगता है। शूल उठती है, मसूड़े फूल जाते हैं। इससे राहत के लिए सरसों का तेल, सेंघा नमक और हल्दी का पावडर लीजिए। तीनों का पेस्ट मसूड़ों पर मलिए। कुछ देर लगे रहने दें। फिर गुनगुने पानी से कुल्ले कर मुँह साफ कर लें। यह उपाय बड़ा राहतदायी है। मैं अनेक पर आजमा चुका हूँ, आप भी आजमा कर देखिए। होमियो दवा मर्क सोल 200(Merc.Sol.200) और प्लेन्टेगो मेजर-30(Plantago Major30) दंतशूल और मसूड़े फूलने पर अच्छा असर दिखाती हैं। चार-चार गोली सुबह शाम अलग-अगल समय या एक दवा सुबह दूसरी शाम को ले सकते हैं।
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