सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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गुरुवार, 27 जनवरी 2011
कुंभकर्णी नींद खुली
कई वर्षों की बहस और लोगों के स्वास्थ्य के साथ खिलवाड़ के बाद अब भारत के औषधि नियंत्रण विभाग की कुंभकर्णी नींद खुली है। उसने निमेसुलाइड(nimesulide),सिसाप्राइड(cisapride),फिनाइल प्रोपेन्डामाइन (phenyl propandamine)नामक तीन दवाओं पर प्रतिबंध लगा दिया है। ये दवाएं नामी गिरामी कंपनियों द्वारा अभी भी विभिन्न ब्रांड नेम के साथ धड़ल्ले से बेची जा रही हैं। पहली दवा तो नाइस नाम से उपलब्ध है। मेडिकल स्टोर्स से लोग बिना डाक्टरी पर्ची के ही खरीद कर खूब खा रहे हैं। उन्हें नहीं पता कि यह दर्द नाशक दवा कितनी घातक है। तीसरी दवा जिसे संक्षेप में पीपीए के नाम से पुकारते हैं-विक्स, विक्स एक्शन ५०० और डिकोल्ड, विनकोल्ड नाम से बेची जाने वाली सर्दी-जुकाम की दवाओं में पाई जाती है। अमेरिका, ब्रिटेन, आस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड, जापान सहित १६८ देशों में इन दवाओं पर काफी समय से बंदिश चली आ रही है। लेकिन भारत सरकार अपने नागरिकों को गिनीपिग समझती है। इनकी तुलना में होमियो दवाएं या आयुर्वेद की दवाएं कितनी सुरक्षित हैं। और इनसे भी श्रेष्ठ है प्राकृतिक चिकित्सा जिसमें कोई दवा ही नहीं है। केवल स्वस्थ जीवन जीने की कला है।
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अब बन्द की गई. अभी तक क्यों नहीं, इसका जबाव कौन देगा.. फिर जो नुकसान हुआ,उसकी भरपाई कैसे होगी...
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