सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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शुक्रवार, 10 दिसंबर 2010
चाकलेट के दाम में काजू बादाम
लोग कहते है सूखे मेंवे बहुत महंगे है कैसे खिलाए बच्चो को. लेकिन महंगे, महंगे चाकलेट और आइसक्रीम, शीतल पेय और जंक फूड, मिठाइयाँ खाते और खिलाते समय महंगे का रोना कोई नही रोता. जबकि ये चीजे स्वास्थ बिगाड़ती है और मेंवे स्वास्थ् बनाते है. इन अलाबला चीजो और इनकी वजह से इलाज पर होंने वाला व्यय अगर जोड़ा जाए तो आपको लगेगा कि मेंवे सस्ते है और इनका शौक महंगा. बच्चे जब चाकलेट माँगे तो आप उन्हे मेवे खिला कर बहला सकते है. इससे उनका स्वास्थ्य भी अच्छा रहेगा और बीमारी पर होंने वाले अनचाहे खर्च और परेशानी से बचे रहेगे.
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यह वाकई अच्छा है..
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