सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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गुरुवार, 9 दिसंबर 2010
ई एन टी याने आँख, नाक, गला
एलोपैथी के ईएनटी में ई के मायने ईयर अर्थात कान है, यहाँ हम ई से आँख की बात करेंगे। नहाते समय आँख, नाक और गले की सफाई का विशेष ध्यान रखना है। आँख की सफाई का आसान तरीका यह है कि एक तसले में इतना पानी ले कि मुँह का अग्र भाग उसमें डूब सके। अब साँस रोक कर मुँह तसले में डूबाए और आँखे खोले। बार बार पलके खोलें और बंद करें। इस तरह से नेत्रों की सफाई बेहतर होंती है, नेत्र ज्योति भी ठीक रहती है। अब नाक के लिए नेती कीजिए। जल नेती का पात्र कसेरा बाजार में मिलता है। नेती के लिए गुनगुना जल ठीक रहता है, आँख के लिए शीतल जल ठीक रहता है। नेती के जल में थोड़ा नमक मिलाना न भूलें वरना जलन होंती है। शुरु में आपको कठिन लगेगा लेकिन दो तीन दिन में अभ्यास हों जाएगा। मालवा मिल वाले इलाके में सोहनलालजी के प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र पर नेती की बोतल मिलती है। वह ज्यादा मुफीद रहती है। अब गले की सफाई के लिए मग में गुनगुना पानी लें और उसमें भी नमक मिला लें और गरारे करें। ईएनटी की कवायद को यदाकदा नहीं सदा करें तो अनेक रोगों से बचा जा सकता है। ज्यादा समय नहीं लगता आधे घंटे में सब हों जाता है। एक डिब्बे में नमक बाथरुम में ही रख लें तो भूलने और भागने से बच सकते है। नहाने के लिए किया गया गरम पानी तीनों काम साध देगा।
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कई बार नाक से पानी खींच कर गले से निकाला है और तब नजला जुकाम कुछ नहीं होता था...
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