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रविवार, 5 दिसंबर 2010

संतुलन योग है, असंतुलन रोग

यह शरीर पंच महाभूत का बना है। अर्थात अग्नि, जल, वायु, मिट्टी और आकाश। हम यहाँ पहले वाले तीन तत्वों की बात करेंगे। अग्नि, जल और वायु को आयुर्वेद में वात, पित्त और कफ के नाम से जाना जाता है। वायु याने वात, अग्नि याने पित्त और जल कफ का प्रतीक है। इन तीनों का संतुलन योग है और असंतुलन रोग। जब ये तीनों हमारे शरीर में समान अनुपात में रहते हैं तो शरीर निरोग रहता है। संतुलन बिगड़ते ही रोग जकड़ लेते हैं। व्यक्ति को अनुभव से इतना ज्ञान हो जाना चाहिए कि वह शरीर में यह संतुलन बनाए रखे। आहार, विहार और विचार तीनों की शुद्धि से यह संतुलन बनता है। इनमें अशुद्धि आते ही बिगड़ जाता है। अपने आपको पहचानिए। आपका शरीर क्या चाहता है और आप उसे क्या देते हैं? यह बात बड़ी महत्वपूर्ण है। जिस तरह हर व्यक्ति की सूरत शक्ल अलग अलग होती है उसी तरह शरीर की प्रकृति भी जुदा जुदा होती है। किसी का शरीर कफ प्रधान है तो किसी का पित्त प्रधान और किसी का वात प्रधान। अगर आपने अपनी तासीर जान ली तो तद्अनुरुप आप अपना खान-पान और रहन सहन रखिए। यही बेहतर जीवन की कुंजी है। मिट्टी की बनी यह देह आत्मा का मंदिर है। आत्मा के इस मंदिर को पवित्र बनाए रखना हर शख्स का परम कर्तव्य है। आत्मा यानि आकाश पंच महाभूत का पाँचवा तत्वहै।

प्रकृति की पहचान कैसे करें
वात प्रकृति के लक्षण इस प्रकार हैं-
१. शरीर का रूखा-सूखा होना
२. अपर्याप्त पोषण के कारण शरीर का सूखना या दुर्बल हो जाना
३. अंगों की शिथिलता, सुन्नता और शीतलता
४. अंगों में कठोरता और उनका जकड़ जाना
पित्त प्रकृति के लक्षण इस प्रकार हैं-
१. शरीर में दाह या जलन, आँखों में लालीमा, हृदय, पेट, अन्ननली व गले में जलन होना.
२. गर्मी का ज्यादा अनुभव होना
३. त्वचा का गर्म रहना, त्वचा पर फोड़े-फुंसी होना
४. त्वचा, मल-मूत्र, नेत्र आदि का पीला होना
५. कंठ सूखना, कंठ में जलन, प्यास अधिक लगना
६. मुँह का स्वाद कड़वा होना, कभी-कभी खट्टा होना
७. अम्लता (एसिडिटी) बढ़ना, यदाकदा खट्टी डकारें आना
८. पतले दस्त होना
कफ प्रकृति के लक्षण इस प्रकार हैं-
१. शरीर भारी, शीतल, चिकना और सफेद होना
२. अंगों में थकावट और शिथिलता का होना। आलस्य का बना रहना।
३. ठंड अधिक लगना.
४. त्वचा चिकनी व पानी में भीगी सी रहना
५. मुँह का स्वाद मीठा व चिकना सा रहना., मुँह से लार गिरना
६. भूख कम लगना, अरूचि व मंदाग्नि रहना
७. मल-मूत्र, नेत्र और सारे शरीर का सफेद पड़ जाना, मल में चिकनापन और आँव

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