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कुदरत ने हमें जाम हटाने के लिए अमृत फल जाम दिया है. इसे अमरुद भी कहते है. एक और अमृत फल है नीबू. कहावत है कि अगर नीबू में बीज नहीं होंते तो वह अमृत हो जाता और जाम में बीज नहीं होते तो यह जहर हों जाता. जाम को लेकर अनेक लोग भ्रम पाले हुए हैं कि इसे खाने से सर्दी हों जाती है. यह सही नहीं है. अधिक पके जाम जरुर कफ पैदा करते हैं लेकिन अगर ताजे और अधपके जाम का प्रयोंग करें तो वह किसी तरह से हानि नहीं करता. जाम पेट को साफ करता है और खनिज व विटामिनो से भरपूर होंता है. इसके बीज आँतो में चिपके मल को साफ करने में मददगार होंते हैं. इसीलिए मैने लिखा जाम हटाए जाम. नियमित जाम के सेवन से कठिन कब्ज का कब्जा भी छुड़ाया जा सकता है. तो फिर जाम से कैसे परहेज. हाँ एक जाम और है उससे जरुर तौबा करे.अगर जाम को काला नमक और पीसी काली मिर्च लगा कर खाया जाए तो इसके कफ कारक दुर्गण दूर हो जाते हैं.
जी, कहा भी जाता है कि, "आंवले में बीज न होता तो वो अमृत होता, और बीही में बीज न होता तो वो ज़हर"
जवाब देंहटाएंइसे जाम कहते हैं, ये बात हमें जबलपुर में पता चली थी। वहां लोग इसे जामफल कहते, पहले तो हम समझ ही नहीं पाते थे कि ये किसके बारे में बात हो रही है, क्योंकि हम या तो उसे बीही कहते था, या फ़िर अमरुद...
ज्ञानवर्धक बातें. अमरूद को बिही और सपड़ी के नाम से तो मैंने भी सुना था, लेकिन जाम पहली बार सुना. जम्बूफल यही तो नहीं..
जवाब देंहटाएंबहुत अच्छी जानकारी दी सर....... धन्यवाद
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