सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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मंगलवार, 19 अक्टूबर 2010
तो बहुत बुरा होगा
जयपुर में एक डाक्टर ने बच्चे के कान की जगह पेट का आपरेशन कर डाला, लखनऊ के एक डाक्टर को उपभोक्ता फोरम ने आपरेशन के दौरान पेट में तौलिया छोड़ने पर ढाई लाख का जुर्माना किया, मुम्बई में एक डाक्टर ने आईसीयू में एक मरीज के साथ बलात्कार किया, इंदौर के एमवाय अस्पताल में डाक्टरों और मरीज के रिश्तेदारों के बीच झगड़ा, ग्वालियर के अस्पताल में जूनियर डाक्टरों ने मरीज के भाई को पीटा.....पिछले चार-पाँच दिनों में रोज एक न एक चिकित्सकों के कारनामों की खबर अखबारों में दिखाई दी। कहते हैं भगवान और गुरु के बाद किसी का सर्वाधिक सम्मानीय दर्जा है तो वह है चिकित्सक का। आयुर्वेद में चिकित्सक को भी भगवान के समकक्ष माना गया है, क्योंकि भगवान जीवन देता है, तो चिकित्सक उस जीवन की रक्षा करता है। लेकिन आज के युग में रक्षक ही भक्षक बनता जा रहा है। ऐसे चिकित्सकों को हम डाकू कहें या और कुछ। डाकू के भी कुछ उसूल होते हैं, लेकिन ये चिकित्सक तो डाकुओं से भी गए बीते हो गए। ऐसा नहीं है कि सभी चिकित्सक गैर जिम्मेदार हैं कुछ अच्छे भी हैं, कुछ तो देवदूत के समान हैं। लेकिन इन दिनों ज्यादातार जालिम ही इस पेश में प्रवेश कर इसे बदनाम कर रहे हैं। अगर विश्वास की यह डोर टूट गई तो बहुत बुरा होगा।
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agar yesa hi chalta raha to ek din log chikitsak
जवाब देंहटाएंse darne lagenge
agar bhagwan hai to saytan bhi hoge hi