सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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बुधवार, 20 अक्टूबर 2010
अमृत फल आँवला
अमृत फल आँवला की बहार आ चुकी है। फिर देर किस बात की, आज ही ले आइये। अक्टूबर से मार्च-अप्रैल तक यह आपका साथ देंगे। रोज सबेरे खाली पेट दो या तीन आँवलों का रस निकाल कर उसमें थोड़ा शहद मिला कर सेवन किया जाए तो कायाकल्प हो जाता है। आयुर्वेद में आँवले को रसायन माना गया है। यह पूरे शरीर की कार्यप्रणाली को चुस्त-दुरुस्त रखता है। जिन्हें मधुमेह की शिकायत हो वे मधु न मिलाएं। थोड़ा पानी मिला कर रस को डायल्यूट कर लें। आँवले का रस निकालने का तरीका बड़ा आसान है। कद्दूकस पर आँवले को कीस लें, फिर एक सूती वस्त्र लें उसे पानी में भिगो कर निचोड़ लें। अब इस कपड़े में आँवले का किस दबा कर निचोड़ लें, रस तैयार है। अगर पूरे सीजन भर आपने इस तरह रस का सेवन किया तो वर्षभर आपकी सेहत ठीक रहेगी। प्रकृति का कितना सस्ता सुंदर उपहार है आँवला। शायद इसीलिए इसकी पूजा की जाती है।
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