सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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मंगलवार, 12 अक्टूबर 2010
परंपराएं कसौटी पर खरी
पिछले दिनों एक शोध से पता चला कि लाल प्याज मित्र कोलेस्ट्रोल बढ़ाता है और शत्रु कोलेस्ट्रोल को कम करता है। प्याज तो भारतीय थाली में प्राचीनकाल से जुड़ा है। आधुनिक सभ्यता के चक्कर में लोग इन पुरानी परंपराओं को भूलते जा रहे हैं। और बीमारियों को न्योता दे रहे हैं। भारत में नानी-दादियों के नुस्खे सेहत के लिए लाभप्रद रहे हैं। हर घर में इन नुस्खों से बच्चों और बड़ों की सेहत दुरुस्त रखी जाती थी। आधुनिक चिकित्सा विज्ञान ने हमें इनके प्रयोग से डरा-डरा कर दूर कर दिया, ताकि उनकी दुकानदारी जम कर चलती रहे। हाल ही चिकित्सा वैज्ञानिकों ने एक और तथ्य को स्वीकार किया कि पानी के टब में अगर प्रसूति कराई जाए तो माता को दर्द कम होता है और सहज प्रसूति हो जाती है। यह प्रयोग भी हमारे यहाँ अगरिया जाति के लोगों में प्राचीनकाल से प्रचलित रहा है। वे पानी से भरे तसले में प्रसूति कराते हैं और उस पानी में थोड़ी महुए की शराब भी डालते हैं। शराब शायद इसलिए कि पानी में मौजूद किटाणु मर जाएं और नवजात को हानि न पहुँचाएं। आधुनिक चिकित्साशास्त्रियों को ये बातें अब समझ में आ रही हैं। लंदन के वैज्ञानिकों ने चार माह के भ्रूण की तस्वीरें खींच कर यह साबित करने की कोशिश की है कि भ्रूण भी मुस्कुराता है। गर्भकाल में अभिमन्यु के चक्रव्यूह भेदने की कला सीखने की कथा महाभारत में कही गई है। भारत की सारी मान्यताएं और परंपराएं अब आधुनिक विज्ञान की कसौटी पर भी खरी उतर रही हैं।
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Yes indeed....The science of India does't need affiliation from worlds modern science....because they seems to be in a hurry of getting results ...and then money....Indian culture makes us self reliance..and this does't suits the east....SUNIL Tamraker.
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