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गुरुवार, 2 सितंबर 2010

बहेड़ा से खाँसी खो हो जाती है


कई बार खाँसी आसानी से पीछा नहीं छोड़ती। कई नुस्खे फेल हो जाते हैं। इस हालत में बहेड़ा आपका साथ देगा। दो रुपये के बहेड़ा में खाँसी खो हो जाती है। बहेड़ा आयुर्वेदिक दवा वालों की दुकान पर आसानी से मिलता है। •बहेड़ा का बाटनिकल नेम terminalia belerica है, इसे संस्कृत में बिभीतकी भी कहते हैं। त्रिफला का एक घटक है। कफ नाशक गुणों से भरपूर है। बहेड़ा का चूर्ण भी मिलता है। लेकिन हमें इसके टुकड़े लाना है। इसका जरा सा टुकड़ा मुँह में रख कर चूसते रहें। जितनी देर रख सकें उतना बेहतर नतीजा। रात को मुँह में एक छोटा टुकड़ा रख सो भी सकते हैं। दो दिन में ही महीनों की खाँसी गायब हो जाती है। इसका स्वाद जरा ठीक नहीं लगेगा, लेकिन खाँसी तो भगानी है, फिर स्वाद की क्या परवाह्। महँगे कफ सिरप कई बार लाभ तो नहीं करते उल्टे हानि पहुँचाते हैं। कफ सिरपों में एक घटक होता है कोडिन, यह कब्ज करता है। बहेड़ा के चूर्ण को शहद में मिला कर चाटने से भी लाभ मिलता है।
• बहेड़ा के कुछ और भी प्रयोग हैं-पुरानी खाँसी में १०० ग्राम बहेड़ा के छिलके लीजिए। उन्हें धीमी आँच में तवे पर भून लीजिए। इसके बाद पीस कर चूर्ण बना लीजिए, चूर्ण को कपड़ छान कर रख लें। फिर पाँच ग्राम नौसादर इसी तरह तवे पर भून लें। बहेड़ा चूर्ण और नौसादर को अच्छी तरह खरल में घोट लें। फिर एक शीशी में भर कर रख लें। यह मिश्रण एक से तीन ग्राम, एक चम्मच शहद के साथ दिन में तीन से चार बार लिया जा सकता है। पुरानी से पुरानी खाँसी भी इससे ठीक हो जाती है।

1 टिप्पणी:

  1. प्राकुतिक चिकित्सा पर डा. अजीत मेहता की ३ पुस्तको का सेट मिलता है, जो ऎसी विश्वसनीय जानकारियो से भरी पडी है...ऎसी किताबे हर घर मे होती है...अच्छी किताबे है...मै तो कही गिफ्ट करना हो तो इसे ही प्राथमिकता देता हूं...

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