सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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शनिवार, 28 अगस्त 2010
सेवा से सेहत का मेवा
आप किसी दिन-दुखी की सेवा करते हैं, तो उसे तो सुकून मिलता ही है, आपको भी सेहत का मेवा मिल जाता है। वैज्ञानिकों ने हाल ही अनुसंधान किया है कि अच्छे कार्य आपकी सुरक्षा प्रणाली को लाभ पहुँचाते हैं। मस्तिष्क और सुरक्षा प्रणाली आत्मीयता से संबंधित है। नाड़ियाँ मस्तिष्क को बोन मेरो और तिल्ली (spleen) से जोड़ती है। ये दोनों संक्रामक रोगों से लड़ने वाले सेल्स विकसित करते हैं। हार्वर्ड विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने विद्यार्थियों को मदर टेरेसा की एक फिल्म दिखाई। इन विद्यार्थियों का विश्वलेषण करने पर उनकी लार में इम्यूनोग्लोबुलिन ए की मात्रा में अधिक बढ़ोतरी पाई गई। यह तत्व रक्त में उपस्थित ऐसे पदार्थ जो हानिकारक होते हैं, को नष्ट करने में सहायक होता है। साथ ही श्वसन का संक्रमण भी रोकता है। कुछ शोधकर्ताओं ने यह भी पता लगाया है कि दूसरे लोगों के प्रति आपका व्यवहार हृदयरोग के संकट को आश्चर्यजनक रूप से प्रभावित करता है। शत्रुता और ईर्ष्या निश्चित रूप से आपके संकट में इजाफा करेगी। क्रोध, चिड़चिड़ापन और आक्रामकता आपको अधिक संकट में डाल देगी। दक्षिण केरोलिना के डरहम विवि के मेडिकल केन्द्र पर किए एक अध्ययन से पता चला है कि जिसका जितना शत्रुतापूर्ण व्यवहार होगा, उतनी अधिक उसकी हृदय की कोशिकाओं में रूकावट होगी। मेरीलैंड विवि के अध्ययन की खोज है कि जो लोग धैर्यपूर्वक नहीं सुनते और उत्तर देने में उतावले होते हैं उन्हें उच्च रक्तचाप होने का खतरा ज्यादा होता है।
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seva se meva milne ki baat nirarthak nahin hai.
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