सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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गुरुवार, 22 जुलाई 2010
८५ की उम्र में १५ सी चुस्ती
मेरे मित्र के मौसाजी ट्रेन में सफ़र कर रहे थे उस बोगी में एक बूढ़े सज्जन भी थे। उम्र ८५ मगर फुर्ती १५ जैसी। अपना सामान खुद उठाते, स्टेशन पर पुल भी आसानी से चढ़ गए। मौसाजी ने आखिर पूछ ही लिया, दादा आपके सेहत का राज क्या है। पुल चढ़ने में हमारा तो दम फूलने लगता है? कहने लगे बेटा यह सब अलसी का कमाल है। मेरे पिताजी ने कहा था, बेटे सब कुछ भुलना मगर अलसी खाना कभी मत भुलना। तब से आज तक पचास बरस हो गए, रोज सुबह एक चम्मच अलसी का पावडर पानी के साथ लेता हूँ। कभी बीमार नहीं होता। यही है मेरी तंदुरस्ती का राज। तो दोस्तों अलसी की महिमा हमे तो अब पता चली, हमारे पूर्वज पहले से जानते थे। अब भी देर नहीं हुई है। आज से ही कर दो शुरू ।
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