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शुक्रवार, 22 सितंबर 2017

खांसी भगाए गेंदा फूल


पिछले दिनों वैद्य अवनींद्र जोशी जी का वाट्स एप पर एक संदेश पढ़ा। खांसी कितनी ही पुरानी क्यों न हो गेंदे के फूल का पानी पीने से दो चार दिन में ही छूमंतर हो जाती है। मुझे ध्यान आया होम्योपैथी में भी गेंदे के फूल से बनी दवा है कैलेंडुला। वह भी खांसी जुकाम और जख्म भरने के लिए प्रयोग की जाती है।
कैलेंडुला होम्योपैथी की सबसे सशक्त हिलिंग रेमेडी है। इस दवा के प्रयोग से बड़े बड़े घाव ठीक हो जाते हैं ।इसलिए मुझे जोशीजी के इस नुस्खे पर सहज विश्वास होगया। और मैंने इसका प्रयोग कुछ लोगों पर किया और अच्छे परिणाम मिले।
गेंदे के फूल का यह उपचार बड़ा सरल है। गेंदे का एक ताजा फूल लीजिए, उसको तोड़कर उसकी पंखुड़ियां एक तांबे के लोटे में भिगो दीजिए। रात भर भीगने के बाद सुबह यह पानी पंखुड़ियां एक ओर हटाकर दिन में चार पांच बार चार चार चम्मच पीने से पुरानी से पुरानी खांसी ठीक हो जाती है। जोशीजी ने तो 75 साल के एक वृद्ध जिन्हें 25 साल से खांसी चल रही थी का इलाज इस नुस्खे से किया और चंद दिनों में उनकी खांसी ठीक हो गई, जो अनेक दवाएं लेने पर भी ठीक नहीं हो रही थी। एक बालक की छाती में कफ भर गया था । आपरेशन की नौबत आ गई थी। यह प्रयोग किया गया और ऑपरेशन टल गया। यह बड़ा सरल और प्राकृतिक उपाय है। कोई साइड इफेक्ट भी नहीं। इस पानी से आंखें धोने से नेत्र और दृष्टि साफ हो जाती है। अगर दुर्घटनावश कोई अंग जल जाए तो गेंदे के फूलों के पानी से जलन दूर हो जाती है और छाले नहीं उठते।

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