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फिर पुणे के एक शोध संस्थान ने विभिन्न हृदयरोगियों पर विठ्ठल विठ्ठल के जप के प्रभाव का अध्ययन किया। करीब 25 रोगियों को दस दिन तक रोज सुबह शांत वातावरण में दस मिनट तक विठ्ठल विठ्ठल का जप कराया गया। दस दिन बाद जब उनका परीक्षण किया तो चौंकाने वाले परिणाम मिले। वे लगभग सामान्य हो चुके थे। दो साल तक परीक्षण के बाद डाक्टर इस निष्कर्ष पर पहुंचे कि विठ्ठल शब्द के उच्चारण का दिल पर जादुई असर होता है। यह दिल को वाइब्रेट करता है। हमारे प्राचीन ग्रंथों में मंत्र और ध्वनि के मनुष्य और प्राणियों पर प्रभाव का जिक्र कईं जगह मिलता है। शरीर के प्राणवान ऊर्जा माने तेजस और ओजस शरीर के मूल तत्व वात, पित्त और कफ को नियंत्रित करते हैं। इस ऊर्जा को संतुलित बनाए रखने में ध्वनि, नाद व मंत्रोच्चार का जबरदस्त प्रभाव होता है। दुनिया के कईं देशों में संगीत और ध्वनि के प्रभाव को लेकर अनेक शोध किए जा रहे हैं और पहले भी हुए हैं। इसलिए मंत्र शक्ति के शरीर पर पड़ने वाले प्रभाव से इंकार नहीं किया जा सकता। हमारे ऋषि मुनियों ने गहन शोध और तपस्या के बाद इनका सृजन किया है। आजकल के आधुनिक चिकित्सा विज्ञानी जो कार्य तंत्र (औजारों) से चीरफाड़ कर करते हैं, हमारे ऋषिःमुनियों ने सदियों पहले वही कार्य मंत्र (ध्वनि) के द्वारा करने में सफलता हासिल कर ली थी।
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