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मंगलवार, 1 जुलाई 2014

एमोबायोसिस

एमोबायोसिस
अर्थात अमीबा पेचिश आदमी को पंगु बना देती है। खाया-पीया पचता नहीं। इस वजह से दिन पर दिन कमजोरी आती जाती है। दिन भर सुस्ती बनी रहती है। पेट में मरोड़ के साथ दर्द होता है। पेट में गैस भर जाती है। बार-बार दस्त होते हैं या दस्त की हाजत होती रहती है। इस रोग का एक आसन घरेलू उपचार है-सौंफ, यह किसी भी किराना दूकान पर आसानी से मिल जाती है। सौंफ दो प्रकार की होती है। एक बारीक और एक मोटी। हमें मोटी सौंफ चाहिए। यह कईं प्रकार के उदररोगों में अक्सीर काम करती है। सौ ग्राम मोटी सौंफ ले आइए। इसके दो भाग कर लीजिए। एक भाग को भून लीजिए और शेष भाग को कच्चा रहने दीजिए। अब दोनों को मिला कर मिक्सर में पीस लीजिए। फिर सौ ग्राम मिश्री या शक्कर पीस कर इसमें मिला दीजिए। यह मिक्चर एक डिब्बे में बंद कर रख लीजिए। रोज सुबह शाम दो-दो चम्मच चूर्ण पानी के साथ सेवन करने से एमोबायोसिस के अलावा पतले दस्त, दस्त में आंव आना, पेचिश, कोलाइटिस, गैस, एसिडिटी जैसे रोग में भी इससे आराम आता है।
0-बच्चों को अपच होने पर सौंफ का पानी पिलाना चाहिए। इसे तैयार करने के लिए एक कप पानी में एक चम्मच सौंफ डाल कर अच्छी तरह उबाल लें। छान कर ठंडा करें और एक-एक चम्मच पानी दिन में कईं बार पिलाइए ।
0-शिशुओं को दांत निकलते समय बहुत परेशानी होती है। किसी को दस्त लग जाते हैं, कोई चिड़चिड़ करते हैं तो किसी की लार गिरती है। इस वक्त सौंफ आपकी मददगार हो सकती है। गाय के दूध में एक चम्मच मोटी सौंफ उबालकर छान लीजिए। और यह दूध पिलाइए बच्चे के दांत आसानी से निकल ने लगेंगे। जब तक जरूरी हो यह उपचार जारी रख सकते हैं।
0-खुजली में भी सौंफ से आराम मिलता है। सौंफ और खड़ा धनिया समान मात्रा में लेकर कच्चा ही पीस लीजिए। दो गुनी पीसी मिश्री और डेढ़ गुना गाय का घी मिलाकर एक डिब्बे में भर लीजिए। सुबह शाम दो-दो चम्मच नियमित सेवन से सभी तरह की खुजली में आराम मिलता है।
                                           सांसों की दुर्गंध को सौंफ दूर करेगी
हाथ पैरों में जलन हो तो सौंफ और मिश्री का सेवन करने से लाभ होता है। सांसों में ताजगी के लिए सौंफ का नियमित सेवन कीजिए। सांसों की दुर्गंध को सौंफ दूर करेगी। सौंफ की तासीर ठंडी होती है, यह मस्तिष्क को शीतलता प्रदान करती है। सौंफ नव प्रसूता में दुग्ध की वृद्धि करती है। अगर दूध कम बनता हो तो नव प्रसूता को रोज दो-दो चम्मच सौंफ भोजन के बाद् लेनी चाहिए। अगर गर्भावस्था में रोज भोजन के बाद दो चम्मच सौंफ खाई जाए तो संतान गोरी होगी। जोड़ों के दर्द में सौंफ की चाय मुफीद होती है। चाय बनाने का तरीका है, सौंफ को मिक्सर में दरदरी पीस लें। एक पानी में दो चम्मच पावडर डाल कर उबाल लें। छान कर शहद मिला कर गर्म गर्म पीएं। यह कोलेस्ट्रोल को भी नियंत्रित करती है, इसलिए हृदयरोगियों के लिए भी लाभकारी है। याददाश्त  बढ़ाने के लिए सौंफ, बादाम और मिश्री मिला कर चूर्ण बना लें। इसे दूध के साथ लेने से लाभ होता है। कब्ज रोगियों को एक चम्मच सौंफ का चूर्ण, एक चम्मच गुलकंद  रात को दूध के साथ लेना चाहिए। 

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