कुल पेज दृश्य

शनिवार, 16 फ़रवरी 2013

ऐसे भरा बड़ा जख्म

आठ माह पूर्व सिर में एक फोड़ा हुआ था, जो चंद दिनों बाद ठीक हो गया। फिर सीने पर बायीं तरफ दिल के ठीक उपर एक फोड़ा हुआ। यह फोड़ा बहुमुखी था, जिसे अंग्रेजी में कारबंकल कहते हैं। डाक्टरों को भी दिखाया उन्होंने एंटीबायोटिक्स खिलाई फोड़ा तो पक कर फूट गया लेकिन एक चिरस्थायी जख्म दे गया। घाव में पस नहीं था, लेकिन उससे पानी जैसा स्राव यदाकदा होता रहता। दो-तीन दिन में एक बार उसकी सफाई कर घर पर ड्रेसिंग करता रहा। बहुत धीरे-धीरे घाव का घेरा कम होता जा रहा था। कभी-कभी असहनीय दर्द भी होता, उसे भी बर्दाश्त करता रहा। शुगर टेस्ट की वह भी सामान्य निकली। एक चिकित्सक मित्र ने सलाह दी कि इस पर स्कीन ग्राफ्टिंग करवा लो। लेकिन इसके लिए मैं तैयार नहीं था। तो फिर उन्होंने हाथों की कुछ एक्सरसाइज सुझाई और कहा कि जख्म के आसपास की त्वचा की मालिश करो ताकि उस क्षेत्र में रक्तसंचार तेज हो। जख्म को कुछ देर धूप दिखाओ, यह सब किया, तो जख्म धीरे-धीरे भर गया। 65 साल की उम्र में जख्म भरने में समय लगा, वरना युवावस्था में चोट लगती है तो जल्दी ठीक हो जाती है। विपश्यना का साधक हूं, इसलिए मन में एक विचार आया कि किसी को जख्म दिया होगा, तो बदले में जख्म मिला। इस जख्म को समदृष्टि से भोगने में ही मुक्ति है।  इतने लंबे धैर्य के बाद आज जब जख्म भर गया, तो लग रहा है मानो किसी कर्मफल से मुक्ति मिल गई। फोड़े की एक नई परिभाषा भी मिली। नेचरोपैथी कहती है कि शरीर में जब विजातीय विष ज्यादा हो जाते हैं तो वे किसी न किसी विकार के रूप में निकलते हैं। फोड़ा ऐसे विष का ही परिणाम था। त्वचा को फोड़ कर जब विष बाहर निकले तो उसे फोड़ा कहने की शुरूआत हुई होगी। प्रकृति खुद तन को दुरुस्त करने का मार्ग खोज लेती है। उसके इस कार्य में रुकावट डालने से विष अंदर ही बने रह कर कोई बड़े विकार का कारण बन सकते हैं। धैर्य से बड़े बड़े जख्म भी भर जाते हैं।

1 टिप्पणी:

  1. यह द्रढ़ इच्छा शक्ति का एक सशक्त उदहारण है ।
    ऐसे उदहारण कोई योगी पुरुष ही प्रस्तुत कर सकता है ।
    जोकि आप हैं ।

    Dr.O.P. Billore
    +91-930-123-5229

    जवाब देंहटाएं