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रविवार, 30 दिसंबर 2012

चिकित्सा के समन्वित प्रयोग

देव संस्कृति विश्वविद्यालय हरिद्वार ने मनोरोगियों पर योग, प्राणायाम, गायत्री मंत्र और हर्बल मेडिसिन का संयुक्त प्रयोग किया। इसके लिए साठ रोगियों को चुना, जिनमें बराबर संख्या में स्त्री व पुरुष थे। कुल 45 सत्र में इन्हें 20 मिनट योग व प्राणायाम और 10 मिनट गायत्री मंत्र का जाप कराया जाता था और साथ में आयुर्वेद के अनुसार हर्बल औषधियां दी गई। नतीजे उत्साहवर्धक मिले। डा.प्रणव पंड्या जो स्वयं एमबीबीएस चिकित्सक हैं, इस विश्वविद्यालय के कुलपति हैं। उन्होंने विवि के मनोविज्ञान विभाग के प्रमुख प्राध्यापक मिश्रा व उनके दो सहयोगियों के साथ यह प्रयोग किया, जिसे विवि की अंतरराष्ट्रीय पत्रिका में प्रकाशित किया गया है। डा.पंड्या के अनुसार मनोरोगियों की पारंपरिक एलोपैथिक चिकित्सा में दवा बंद करने पर रोग पुनः होने का खतरा 90 प्रतिशत रहता है। जबकि इस पद्धति से उपचार में रोग जड़मूल से खत्म हो जाता है और रोगी सामान्य जीवन जीने लगता है। अगर अन्य रोगों में भी इस तरह के प्रयोग किए जाएं तो पीड़ित मानवता का काफी भला हो सकता है। इंदौर की संगीत शिक्षिका छाया मटंगे ने संगीत से कैंसर रोगियों को स्वस्थ करने के प्रयोग किए हैं। छायाजी को भी कैंसर हो गया था, उन्होंने दवा के साथ-साथ संगीत की विभिन्न राग-रागिनी के आधार पर अपना संगीतोपचार कर सफलता पाई है। बाद में इस प्रयोग को अन्य रोगियों पर भी आजमाया और नतीजे उत्साह वर्धक मिले। आज की जटिल जीवनशैली में केवल दवा के सहारे सभी रोगियों को चंगा नहीं किया जा सकता। इसलिए समन्वित उपचार प्रणाली ही श्रेष्ठ चिकित्सा सिद्ध हो सकती है।

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