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कार्तिक मास में अमृतफल आँवला आ जाता है। दीपावली के बाद की नवमीं को आँवला नवमी के रूप में मनाने की प्राचीन परम्परा है। शायद आँवलों के गुणों की वजह से उन्हें पूजने की यह प्रथा शुरू हुई होगी। इस दिन आँवले के वृक्ष की पूजा की जाती है और आँवलों को भी पूजा जाता है। इस दिन से आँवलों का सेवन शुरू कर देते हैं। आँवले अप्रैल-मई तक मिलते हैं। जब तक मिलते रहें ताजे आँवलों का प्रतिदिन सेवन करें तो साल भर स्वास्थ्य अच्छा रह सकता है। वैसे तो आँवले को खाने के कईं तरीके हैं। विटामिन और मिनरलों से भरपूर यह फल हर हाल में लाभ ही करता हैं। लेकिन सर्वश्रेष्ठ तरीका है इसका रस निकाल कर रोज प्रातः खाली पेट सेवन करना। बाजार से एक किलो आँवले लाकर फ्रीज में रख दें। रोज सुबह दो आँवलों को कद्दूकस पर कीस कर कीसे आँवलों को लेमन स्कीविजर में दबा कर रस निकाल लीजिए। इस रस में दो चम्मच शहद मिला कर पी लीजिए। वैसे आयुर्वेद में मधुमेह रोगियों को शहद वर्जित नहीं है। फिर भी सावधानी रखना चाहें तो मधुमेह रोगी शहद की जगह थोड़ा पानी मिला कर ले सकते हैं। जब तक आँवले मिलते रहें इसी तरह लेते रहिए। यह साल भर तक आपको उर्जा से भरपूर रखेगा। कईं तरह के रोगों को दूर करेगा।
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