सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
कुल पेज दृश्य
रविवार, 18 सितंबर 2011
तेल देखो, तेल की मार देखो
भाइयो,
कहाँ तो तेल कंपनियों ने १५ अगस्त को तेल का दाम घटाने की बात कही थी और अब दाम बढ़ा दिए गए हैं। अंतरराष्ट्रीय बाजार का नाम लेकर तेल कंपनियाँ जनता को लूट रही हैं। पता नहीं इस देश का क्या होगा....
आप खुद हिसाब लगाइए, पेट्रोल की कीमत कितनी होनी है? तो यह ७४ रुपये में क्यों बेचना चाहते है, यह पैसा कहाँ ज़ा रहा है?.. पढ़कर जानिए--
पहले यह जानिए---
क्रूड आयल का दाम है ८६ डालर प्रति बैरल,
१ डालर = ४७ रुपये और १ बैरल = १५९ लीटर यानी एक लीटर का दाम=२५.४२ रुपये प्रति लीटर
भारत में रिफाइनिंग खर्च है= प्लांट खर्च-५.४५ रुपये, चालू खर्च-०.५५ रुपये यानि पूरा खर्च=६.०० प्रति लीटर (अमेरिका में यह खर्च १४ सेंट यानी ६.५८ रुपये)
भारत पेट्रोलियम का हर प्रकार का ढुलाई खर्च अधिकतम ६.०० प्रति लीटर आता है। गुजरात में तो यह खर्च ४ रुपये के आसपास है।
पेट्रोल पम्प मालिक का कमीशन -१.५० रुपये अधिकतम
अब पूरा खर्चा--
क्रूड आयल= २५.४२,
रिफाइनिंग खर्चा=६.००,
ढुलाई खर्चा = ६.००
कमीशन =१.५०
पेट्रोल की कीमत हुई =३८.९२ प्रतिलीटर अधिकतम
तो इसे ३-०० रुपये और जोड़कर दाम बढ़ाकर ७४ रुपये तक ले जाने की क्या आवश्यकता है और यह बाकी का ३५.०८ रुपये कहा ज़ा रहा है।
३८ रुपये की चीज को ७४ रुपये में बेचने का औचित्य क्या है।
जब क्रूड १४७ डालर था, तब कंपनिया कह रही थी की उनको ७.०० प्रतिलीटर का घाटा हो रहा है अब क्रूड ८६ रुपये है तो घाटा क्यों हो रहा है। तब पेट्रोल की कीमत ५७ रुपये थी आज ६७ रुपये से ७१ रुपये है। यह क्या हेरा फेरी है, जनता का खून क्यों चूसकर उद्योगपतियो को फायदा दिया ज़ा रहा है।
अन्तराष्ट्रीय बाज़ार में पेट्रोल की सरकारी खरीदारी, प्राइवेट एजेंसिओं के माध्यम से की जाती है, उसका कमीशन हजारों करोड रुपये रोज बनता है।
न ये सरकार हिस्साब दे रही है, न कभी बीजेपी की सरकार ने दिया।
लेकिन जनता को तो जबाब चाहिए।
यह आँखे खोलने वाला मेल श्री संजय कुमार मौर्य ने भेजा है, उसे जस का तस यहाँ पेश कर रहा हूँ।
अब टाइम्स आफ इंडिया में छपी एक खबर पर आते हैं। टाइम्स इनसाइट ग्रुप ने पेट्रोल की कीमतें अन्य मुल्कों में कितनी है, इस पर एक खबर प्रकाशित की है। तदअनुसार भारत में पेट्रोल की कीमतें विश्व में सर्वाधिक हैं। अर्थात हमारे मुल्क में पेट्रोल सबसे महँगा मिलता है। सबसे सस्ता पेट्रोल है वेनेजुएला में १.१४ रुपए लीटर, है न दाँतों तले उंगली दबाने वाली बात। ईरान में ४.८ रुपए लीटर है। अमेरिका, इराक और इंडोनेशिया में भी पेट्रोल की कीमतें भारत से कम हैं। अमेरिका में एक लीटर पेट्रोल के दाम ४२.८२ रुपए है। सिंगापुर, न्यूजीलैंड और ब्राजील में ६९.९० रुपए प्रति लीटर का भाव है, यह भी भारत से सस्ता है। तेल निर्यातक संगठन से जुड़े १५७ देशों में भारत की तुलना में पेट्रोल सस्ता है। फिर क्या कारण है कि भारत अपने नागरिकों को इतना महँगा तेल बेच रहा है।
उदारीकरण के नाम पर विदेशी आटोमोबाइल कंपनियों के लिए भारतीय बाजार खोल दिए। बैंकों से कर्ज दिला-दिला कर उनके वाहन खूब बिकवा दिए। पब्लिक ट्रांसपोर्ट सिस्टम की बारह बजा दी। और तेल के दाम बढ़ा-बढ़ा कर नागरिकों का खून चूसा जा रहा है।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
कोई टिप्पणी नहीं:
एक टिप्पणी भेजें