सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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शुक्रवार, 21 जनवरी 2011
नए साल में यह संकल्प लें
नए साल में बीमार नहीं पड़ने का संकल्प लीजिए। कोई सवाल पूछ सकता है कि वाह क्या हम चाह कर बीमार पड़ते हैं? उत्तर है हाँ। हम बीमारी को एक तरह से न्यौता देते हैं। जो कुदरत के करीब रहता है, बीमारी उससे दूर रहती है और जो कुदरत से दूर हटता जाता है बीमारी उसके करीब आती जाती है। अगर हम कुदरत की आचार संहिता का पालन करें तो बीमारी पास ही न फटके। आहार, विहार और विचार का सुयोग और संतुलन ही अच्छे स्वास्थ्य की कुंजी है। बीमार पड़ना अपने, परिवार के और समाज के प्रति एक प्रकार का अपराध है। इस अपराध की सजा सभी को भोगना पड़ती है। तो इस अपराध से बचिए। नया वर्ष सभी के लिए मंगलमय हो।
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