कुल पेज दृश्य

गुरुवार, 16 दिसंबर 2010

गुणों की खान गुड़ (jaggery)


गुड़ में गुण बहुत है। शकरखोरों ने इसे महँगा बना दिया। साठ रुपए किलो हो गया गरीब का गुड़। बाजारवाद ने पहले गरीब का निवाला मोटा अनाज जैसे मक्का, जुवार, बाजरा और दाल-रोटी को छीना और अब गुड़ पर डाका डाला है। गुड़ खाना लक्जरी हो गया है। बहरहाल अच्छा गुड़ मिले तो इसे जरूर खाइए। ठंड के दिनों में तिल्ली के साथ इसका सेवन करने से ठंड का मुकाबला करने की ताकत आती है। ठंड में मेवे के लड्डुओं में भी शकर के बजाय गुड़ मिलाइये। शकर तो सफेद जहर है। गुड़ पीला अमृत है। शकर को साफ करने के चक्कर में इसका प्राकृतिक केल्शियम नष्ट हो जाता है। गुड़ में यह मौजूद रहता है। पुराना गुड़ अधिक अच्छा माना जाता है। लेकिन अगर पुराना गुड़ न मिले तो नए को ही कुछ देर धूप में रखने से वह पुराने की तरह गुणकारी हो जाता है।
-भोजन के पश्चात नित्य गुड़ की एक डली मुँह में रख कर चूसने से पाचन अच्छा होता है। साथ ही वायुविकार अर्थात गैसेस से भी मुक्ति मिलती है। एसिडिटी नहीं होती।
-चीनी की चाय की जगह गुड़ की चाय अधिक स्वास्थ्यकर मानी जाती है।
-२५० ग्राम कच्चा पीसा जीरा और १२५ ग्राम गुड़ को मिला कर इसकी गोलियाँ बना लें। दो-दो गोली नित्य दिन में तीन बार खाने से मूत्र विकार में लाभ मिलता है। जैसे मूत्र नहीं होना, मूत्र में जलन आदि।
-रक्तविकार वालों को गुड़ की चाय, दूध के साथ गुड़ या गुड़ की लस्सी पीने से लाभ होता है।
-बीस ग्राम गुड़ और एक चम्मच आँवले का चूर्ण नित्य लेने से वीर्य की दुर्बलता दूर होती है और वीर्य पुष्ट होता है।
-गुड़ और शुद्ध घी मिला कर खाने से शरीर तगड़ा होता है। इससे रक्तविकार और रक्तपित्त नहीं होता।
-एसिडिटी वालों को रोज प्रातःकाल थोड़ा सा गुड़ चूसना चाहिए। -ठंड के दिनों में गुड़, अदरक और तुलसी के पत्तों का काढ़ा बना कर गर्मागर्म पीना अच्छा रहता है। यह सर्दी-जुकाम से बचाता है।

4 टिप्‍पणियां:

  1. गुड की महिमा न्यारी
    गुड गुणों का भंडार
    खाओ गुड रोजाना
    गुड से हमें हो प्यार ...
    गुड को नहीं जानते
    आजकल के लोग
    खांए शकर और
    पाले अनेकों रोग....
    पड़कर ब्लॉग ये न्यारा
    खाने लगे लोग गुड
    शकर से करें किनारा .

    जवाब देंहटाएं
  2. gud to andhere me bhi meeta hota hai , to lhabh karega hi vpm

    जवाब देंहटाएं