सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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बुधवार, 15 दिसंबर 2010
चार घंटे की नींद भी पर्याप्त होती है
आजकल कोई भी तथाकथित संस्थान दस-बीस लोगों से चंद सवाल कर अध्ययन कर लेता है और बड़े दावे के साथ निष्कर्ष निकाल लिए जाते हैं। मीडिया उन्हें फोटो लगा कर और सजा कर परोस देता है। आज के अखबार में स्वीडन के एक केरोलिस्का इंस्टीट्यूट का शोध छपा है। कुल जमा २३ लोगों से पूछ कर यह शोध हो गया कि आकर्षक दिखना हो, तो भरपूर नींद लो। जो लोग कम सोते हैं वे आकर्षक नहीं दिखते। स्वस्थ नहीं दिखते। पूरी नींद लेना चाहिए इस बात से कोई इंकार नहीं है। लेकिन नींद के नाम पर जबरन करवटें बदलना और आलसी की तरह बिस्तर पर पड़े रहना सही नींद नहीं है। यदि आप गहरी नींद केवल चार घंटे भी लें तो तरोताजा दिखाई देंगें। ताजगी के नाम पर आठ घंटे बिस्तर से चिपटे रहना व्यर्थ है। ऐसी स्थिति में तो और आलस बढ़ता है। चेहरा उनींदा और सूजा हुआ दिखाई देता है। ताजगी कहीं से कहीं तक नजर नहीं आती। मैं चार घंटे सोता हूँ और आठ घंटे सोने वालों से ज्यादा स्वस्थ और ताजगी लिए रहता हूँ। मैंने ऐसे कईं शख्स देखे जो नियम संयम से रहते हैं। नियमित योगासन व प्राणायाम करते हैं या प्रातः भ्रमण को जाते हैं और कम से कम सोते हैं। असल में हर व्यक्ति की शरीर रचना अलग-अलग होती है और उनकी जरूरतें भी अलग होती है। दस-बीस लोगों पर ऐसे अध्ययन कर सबको सबक देने की कोई जरूरत नहीं है।
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यहां तो चार घण्टे भी नहीं आती..
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