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रविवार, 26 दिसंबर 2010

दवा या जहर


विगत दिवस दवाओं के जहर बनने के दो समाचार सामने आए। मुजफ्फरनगर जिले में दो बहनों की मौत, एक्सपायरी वाले कफ सीरप पीने से हो गई। जम्मू जिले के एक सरकारी अस्पताल में एक बालक को पुराना पड़ा जीवन रक्षक दवा का इंजेक्शन लगाने से उसका जीवन ही चला गया। एलोपैथिक दवाएं ऐसे तो खतरनाक होती ही हैं। हर दवा पर वार्निंग लिखा होता है, बच्चों से दूर रखें, बिना डाक्टर की सलाह के न खाएं। वगैरह वगैरह। इन दवाओं के साइड इफेक्ट बहुधा सामने आते रहते हैं। कहने का मतलब ये दवाएं निरापद बिल्कुल नहीं हैं। किसी को एंटी एलर्जिक ड्रग भी एलर्जी कर जाती है। दूसरी तरफ होमियो दवाएँ हैं। पूरी तरह अहिंसक, सौम्य और स्वादिष्ट। बच्चे बड़े चाव से खाते हैं। ये दवाएं कितनी भी पुरानी क्यों न हो, कभी खराब नहीं होती। पुरानी से पुरानी दवा भी असरकारी होती है। इसलिए पैथी के झगड़ों में न पड़ते हुए अगर चिकित्सक समन्वित उपचार की राह पर चलें तो रोगियों का कल्याण हो सकता है। दवाओं के जहर व कहर से बच सकते हैं।

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