सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
कुल पेज दृश्य
बुधवार, 22 दिसंबर 2010
योग से घुटनों का रोग
कल एक नादान सर्जन की खबर समाचार एजेंसियों ने जारी की थी, प्रिंट मीडिया ने अच्छा हुआ इसे तरजीह नहीं दी। सर्जन साहब का कहना है कि योग से घुटनों का रोग होता है। खास कर वज्रासन में बैठने से। कईं योग गुरु उनके पास घुटनों की सर्जरी करा चुके हैं। ऐसा उनका दावा है। मैंने तो आज तक किसी योगी को ऐसा रोग होते न देखा न सुना या पढ़ा। क्या आपने देखा है दोस्तों? पिछले दिनों यह भी खबर चली थी कि हम भारतीय चूँकि पालकी मार कर बैठते हैं इसलिए हमें घुटनों की तकलीफ ज्यादा होती है, बनिस्बत फिरंगियों के। कितने नासमझ हैं ये लोग। अपने स्वार्थ के लिए परमार्थ व लोक हित की हजारों वर्ष पुरानी पद्धतियों पर प्रहार करने से भी नहीं चूकते। हजारों सालों से असंख्य जन योग को अपना कर अपना जीवन सफलतापूर्वक जी चुके हैं। ऐसी पद्धति के बारे में बिना सोचे समझे और कुछ भी जाने बगैर अनर्गल प्रलाप करना कहाँ तक उचित है। ऐसे प्रचार का योग अपनाने वालों को सख्त विरोध करना चाहिए।
सदस्यता लें
टिप्पणियाँ भेजें (Atom)
सर्जन के इस सृजन पर तो हंस ही सकते हैं...
जवाब देंहटाएं