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मंगलवार, 30 नवंबर 2010

अलसी प्रकृति का दिव्य उपहार


अलसी चेतना यात्रा का पहला व्याख्यान १ दिसम्बर को प्रातः साकेत नगर इंदौर के कम्युनिटी हाल में हुआ। काफी संख्या में श्रोताओं ने डा.ओपी वर्मा को करीब घंटे भर तक धैर्यपूर्वक सुना। डा.वर्मा ने अलसी के प्रयोग और अपने अनुभव सुनाए और लोगों के प्रश्नो के उत्तर देकर उनकी जिज्ञासाओं का समाधान किया। डा.वर्मा के अनुसार अलसी एक दिव्य आहार है और यह मानव को प्रकृति का अनूठा वरदान है। इसके सेवन से रोगियों के रोग तो दूर होते ही हैं, स्वस्थ व्यक्ति भी इसे अपने दैनिक भोजन का अंग बनाए तो नवजीवन की प्राप्ति होती है। त्वचा में निखार आ जाता है। नाखून चिकने व चमकदार हो जाते हैं। बाल मुलायम और घने होने लगते हैं। मानसिक शांति प्राप्त होती है, व्यक्ति गुस्सा करना छोड़ देता है। मस्तिष्क प्रखर होने लगता है। उम्र मानो पीछे खिसक जाती है।

कब्ज, बवासीर, उदर के अन्य अनेक रोगों में आराम मिलता है। गठिया, घुटनों का दर्द, रक्तचाप, मधुमेह, अस्थमा, कैंसर, एड्स जैसे घातक और लाइलाज बीमारियों में भी अभूतपूर्व लाभ होते देखा गया है। डा.वर्मा ने बताया कि वह स्वयं मधुमेह के रोगी थे और उन्हें नियमित इंसुलिन लेनी पड़ती थी। अलसी के प्रयोग से उनकी इंसुलिन छूट गई और मधुमेह नियंत्रण में है। उनके कम्प्यूटर आपरेटर को चेहरे पर भयानक मुँहासे थे। पूरा चेहरा भरा हुआ और अत्यंत कुरूप लगता था। अलसी के नियमित प्रयोग से न केवल मुँहासे मिट गए बल्कि वह पहले से अधिक सुंदर दिखाई देने लगा। अलसी एक ऐसा आहार है जो नख से लेकर शिख तक समूचे शरीर को तंदुरुस्त करता है और व्यक्ति को चुस्त व फुर्तिला बनाता है। यह गर्भावस्था से वृद्धावस्था तक और सभी उम्र के लोग के लिए उपयोगी है। डा.वर्मा कहते हैं कि प्रत्येक व्यक्ति को कम से कम तीस ग्राम अलसी का रोज सेवन करना ही चाहिए।

कैसे करें सेवनः अलसी को थोड़ा सेंक कर किसी डिब्बे में भर कर रख लें। जब खानी हो तब मिक्सर के चटनी जार में दरदरी पीस लें। चाहें तो दाल सब्जी में मिला कर खालें या फिर आटे में गूंथ कर उस आटे की रोटी बना कर खाएं। अलसी डालने से रोटी का रंग जरूर सांवला हो जाता है, मगर स्वाद बढ़िया हो जाता है। साथ ही रोटी पराठे की तरह मुलायम हो जाती है। दही में मिला कर भी इसे लिया जा सकता है।

ओमेगा ३ का भंडारः अलसी ओमेगा३ का भंडार है। इसमें यह तत्व जितना अधिक मात्रा में पाया जाता है, उतना अन्य किसी में नहीं। ओमेगा ३ शरीर में नहीं बनता इसे रोज भोजन के साथ लेना जरूरी है। इसके अलावा अलसी अन्य खनिज व विटामिनों से भरपूर है। इसके समान पृथ्वी पर दूसरा कोई आहार नहीं।

अब यहाँ- २ दिसम्बर को डा.वर्मा सोहनलालजी के योग एवं प्राकृतिक चिकित्सा केन्द्र मालवा मिल, स्कूल नम्बर ७ के पास, शाम ५ बजे अलसी पर व्याख्यान देंगे। सभी जिज्ञासुओं के लिए प्रवेश खुला है।

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