सर्वे भवंतु सुखिन, सर्वे संतु निरामय। अगर हम एक आदर्श जीवनशैली अपना लें, तो रोगों के लिए कोई स्थान नहीं है। मैंने अपने कुछ अनुभूत प्रयोग यहां पेश करने की कोशिश की है। जिसे अपना कर आप भी स्वयं को चुस्त दुरुस्त रख सकते हैं। सुझावों का सदैव स्वागत है, कोई त्रुटि हो तो उसकी तरफ भी ध्यान दिलाइए। ईमेल-suresh.tamrakar01@gmail.com
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गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010
फलों से स्वागत करें
इस बार दीपावली पर मिलने वालों का फलों से स्वागत करें तो कैसा रहे? बाजार में मिलावटी सामान मिल रहा है। रोज छापे पड़ रहे हैं और नकली मावा, घी और मिलावटी खाद्य सामग्री पकड़ी जा रही है। ऐसी चीजें खाने और खिलाने से क्या फायदा, जो हमारी और हमारे शुभचिंतकों की भी सेहत बिगाड़े। मनुष्य बड़ा स्वार्थी होता है, वह ज्यादा कमाई के चक्कर में मिलावटखोरी से बाज नहीं आता। आजकल के जटिल जीवन में हम, हर चीज घर पर बना लें यह संभव भी नहीं है। लेकिन कुदरत कभी मिलावट नहीं करती। वह हमें ताजे और शुद्ध रसीले तरह-तरह के फल व मेवे देती है। इन दिनों सेवफल, सीताफल, सिंघाड़ा, पपीता, केला, अमरूद, नारंगी, मौसम्बी की बहार आई है। क्या ये किसी मिठाई से कम हैं। खजूर, अखरोट, बादाम, काजू, किसमिस सड़े-गले सिंथेटिक्स मावे के मिष्ठान से क्या कम हैं? फिर हम क्यों इन मिठाइयों और नमकीन के पीछे भागते हैं, जो हमें रक्तचाप, हृदयरोग, मधुमेह, कैंसर, टीबी जैसे घातक रोगों की ओर धकलते हैं। तो क्यों न इसबार कुदरती मेवे-मिष्ठान(फल) खाएं व खिलाएँ।
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bahut nek aur badhiya vichar hai !
जवाब देंहटाएंwhat an idea sir ji"... par falon mei bhi wax ki parat chadahai jaati hai aur unme bhi oxytocin inject kiya jata hai... hamare yaha to diwali ki mithai ghar par hi banti, parantu aapka idea jaroor try karenge... thank you
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