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गुरुवार, 28 अक्टूबर 2010

फलों से स्वागत करें


इस बार दीपावली पर मिलने वालों का फलों से स्वागत करें तो कैसा रहे? बाजार में मिलावटी सामान मिल रहा है। रोज छापे पड़ रहे हैं और नकली मावा, घी और मिलावटी खाद्य सामग्री पकड़ी जा रही है। ऐसी चीजें खाने और खिलाने से क्या फायदा, जो हमारी और हमारे शुभचिंतकों की भी सेहत बिगाड़े। मनुष्य बड़ा स्वार्थी होता है, वह ज्यादा कमाई के चक्कर में मिलावटखोरी से बाज नहीं आता। आजकल के जटिल जीवन में हम, हर चीज घर पर बना लें यह संभव भी नहीं है। लेकिन कुदरत कभी मिलावट नहीं करती। वह हमें ताजे और शुद्ध रसीले तरह-तरह के फल व मेवे देती है। इन दिनों सेवफल, सीताफल, सिंघाड़ा, पपीता, केला, अमरूद, नारंगी, मौसम्बी की बहार आई है। क्या ये किसी मिठाई से कम हैं। खजूर, अखरोट, बादाम, काजू, किसमिस सड़े-गले सिंथेटिक्स मावे के मिष्ठान से क्या कम हैं? फिर हम क्यों इन मिठाइयों और नमकीन के पीछे भागते हैं, जो हमें रक्तचाप, हृदयरोग, मधुमेह, कैंसर, टीबी जैसे घातक रोगों की ओर धकलते हैं। तो क्यों न इसबार कुदरती मेवे-मिष्ठान(फल) खाएं व खिलाएँ।

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