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रविवार, 12 सितंबर 2010

सेहत की साप्ताहिकी

कई बार व्यक्ति लगातार कोई न कोई व्याधि से परेशान रहता है। इलाज करा-करा कर हार जाता है, लेकिन बात बनती नहीं। डाक्टर भी थक जाते हैं और कह देते हैं कि यह तो बस ऐसे ही चलेगा। पेन किलर खाते रहिए या हमारी दवाएं लेते रहिए। असल में हमारी दिनचर्या में दोष की वजह से दवाएं भी बेअसर हो जाती हैं। ऐसे समय में एक सुझाव पर अगर अमल करें तो मार्ग मिल सकता है। सेहत की साप्ताहिकी बनाइए। रविवार से शनिवार तक सुबह होने से रात सोने तक की दिनचर्या को लिखते जाएं। जैसे सुबह आप कब उठे, जागने पर कैसे महसूस किया, ताजगी लगी या सुस्ती बनी रही। नींद ठीक से आई या नहीं। सुबह नाश्ते में क्या लिया, भोजन में क्या-क्या खाया। मोशन ठीक से हुआ या नहीं, चाय कितनी पी। हर बात लिखते जाइए। जब सप्ताह भर की या हो सके तो एक पखवाड़े की दिनचर्या का लेखन पूरा हो जाए तो उसका विश्लेषण कीजिए। रविवार को यह खाया था और यह किया था तो सोमवार को दिन अच्छा गुजरा, लेकिन सोमवार को यह गड़बड़ हुई इस वजह से मंगल को फिर अमंगल हो गया। इस तरह विश्लेषण करने पर आपको खुद समझ में आने लगेगा कि हमें क्या खाना चाहिए और क्या नहीं कौन सी चीजें मुफीद रहती है और कौन सी नहीं। जो आपको मुफीद अर्थात अनुकूल लगे उसे अपनाएं और जो प्रतिकूल लगे उसे त्यागते जाइए। इस तरह आप अपनी समस्या का स्वयं हल खोज सकते हैं।

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