आधुनिक जीवनशैली ने कब्ज, बवासीर, फिस्चुला, फिशर जैसे रोगों को खूब बढ़ावा दिया है। मेरे पास लगभग रोज ऐसे पीड़ितों के फोन आते हैं, कोई साल भर से तो कोई दस साल से कष्ट भोग रहा है। ये रोग लाइलाज नहीं है। अगर जीवनशैली में सुधार कर लिया जाए तो इन रोगों से स्थायी मुक्ति मिल सकती है। वरना किसी भी पैथी का उपचार लें कुछ समय आराम के बाद फिर जीवन हराम होने लगता है। ऐसे रोगियों को मेरी कुछ सलाह है, जिन्हें अपना कर वे अपने कष्टों का निवारण कर सकते हैं।
1.कब्ज से बचने के लिए मोटे आटे की चोकरयुक्त रोटियों का सेवन कीजिए। आटा चक्की पर जब जाएं तो चक्की वाले को थोड़ा मोटा आटा पीसने का कहिए। मैदे की तरह महीन आटा आंतों में चिपक कर कब्ज पैदा करता है। कब्ज की ही अगली कड़ियां हैं- बवासीर या पाइल्स, फिस्चुला और फिशर आदि।
2.भोजन के साथ सलाद जरूर लें, जैसे लाल टमाटर, गाजर, खीरा ककड़ी, चुकंदर वगैरह। जब अमरुद का मौसम आए तो एक अमरुद नित्य खाने का नियम बना लें। अमरुद पेट साफ करने के लिए अचूक है। पपीता को भी नियमित आहार का हिस्सा बनाइए।
3.भोजन के साथ एक कटोरी ताजा दही, एक चम्मच पीसी अलसी(लिनसीड) के साथ लीजिए। अगर संभव हो तो इसमें एक दो चम्मच शहद भी डाल सकते हैं। शकर मत डालिए। हां, चुटकी भर नमक अवश्य मिलाइए। आपको कभी कब्ज या बवासीर नहीं होगा।
4.रोज रात को त्रिफलाचूर्ण लीजिए या बेलफल का चूर्ण एक चम्मच लीजिए। सुबह बढ़िया पेट साफ होगा। त्रिफला चूर्ण में चाहें तो इसबगोल की भूसी भी मिला कर ली जा सकती है।
5. रोज पर्याप्त मात्रा में पानी पीजिए, पानी कम पीने से पेट में गर्मी बढ़ती है और मल सूखने लगता है। इससे कब्ज होता है। कब्ज से बचने के लिए कम से कम सप्ताह में एक बार पेट पर नाभी के नीचे तौलिया ठंडे पानी में भीगो कर दस-पंद्रह मिनट तक रखिए।
6.प्रातः उठते ही दो-तीन गिलास गर्म पानी पीने की आदत डालिए। इससे पेट की सफाई अच्छी होती है।
0-बवासीर से मुक्ति के कुछ और नुस्खे पेश हैं- इन्हें भी आजमा सकते हैं। बादी बवासीर के लिए रीठे के छिलके तथा श्वेत कत्था समान मात्रा में लीजिए। रीठे के छिलकों को तवे पर इतना भुने कि उनका तेल न जलने पाए। जब आपस में चिपकने लगे और भुन जाएं तो रीठे के छिलके व कत्थे दोनों को मिक्सर में पीस लीजिए। चार से आठ ग्रेन चूर्ण मक्खन के साथ खाने से बादी बवासीर नष्ट हो जाती है। स्वामी जगदीश्वरानंदजी का बताया यह एक अचूक नुस्खा है। इससे मस्से, खुजली में आराम मिलता है, रक्त जाता हो तो वह भी बंद हो जाता है। अगर छः माह बाद पुनः रोग के लक्षण उभरें तो सात दिन तक दोबार यह दवा लीजिए। इसके साथ तीन दिन नमक और सात दिन खटाई नहीं खाने के परहेज करना चाहिए।
विकल्पः इमली के छिलके रहित पचास ग्राम बीज को तवे पर भुन लें। फिर पीस कर चूर्ण बना लें। प्रातः छः ग्राम चूर्ण आधा कटोरी दही में कुछ दिन तक नियमित लेने से हर तरह की बवासीर में आराम मिलता है।
चटपटी चीजें, तलागला, कचोरी-समोसे, मैदे से बनी चीजें इन रोगों को बढ़ाती हैं। यथा संभव इनसे बचने के प्रयास कीजिए।
1.कब्ज से बचने के लिए मोटे आटे की चोकरयुक्त रोटियों का सेवन कीजिए। आटा चक्की पर जब जाएं तो चक्की वाले को थोड़ा मोटा आटा पीसने का कहिए। मैदे की तरह महीन आटा आंतों में चिपक कर कब्ज पैदा करता है। कब्ज की ही अगली कड़ियां हैं- बवासीर या पाइल्स, फिस्चुला और फिशर आदि।
2.भोजन के साथ सलाद जरूर लें, जैसे लाल टमाटर, गाजर, खीरा ककड़ी, चुकंदर वगैरह। जब अमरुद का मौसम आए तो एक अमरुद नित्य खाने का नियम बना लें। अमरुद पेट साफ करने के लिए अचूक है। पपीता को भी नियमित आहार का हिस्सा बनाइए।
3.भोजन के साथ एक कटोरी ताजा दही, एक चम्मच पीसी अलसी(लिनसीड) के साथ लीजिए। अगर संभव हो तो इसमें एक दो चम्मच शहद भी डाल सकते हैं। शकर मत डालिए। हां, चुटकी भर नमक अवश्य मिलाइए। आपको कभी कब्ज या बवासीर नहीं होगा।
4.रोज रात को त्रिफलाचूर्ण लीजिए या बेलफल का चूर्ण एक चम्मच लीजिए। सुबह बढ़िया पेट साफ होगा। त्रिफला चूर्ण में चाहें तो इसबगोल की भूसी भी मिला कर ली जा सकती है।
5. रोज पर्याप्त मात्रा में पानी पीजिए, पानी कम पीने से पेट में गर्मी बढ़ती है और मल सूखने लगता है। इससे कब्ज होता है। कब्ज से बचने के लिए कम से कम सप्ताह में एक बार पेट पर नाभी के नीचे तौलिया ठंडे पानी में भीगो कर दस-पंद्रह मिनट तक रखिए।
6.प्रातः उठते ही दो-तीन गिलास गर्म पानी पीने की आदत डालिए। इससे पेट की सफाई अच्छी होती है।
0-बवासीर से मुक्ति के कुछ और नुस्खे पेश हैं- इन्हें भी आजमा सकते हैं। बादी बवासीर के लिए रीठे के छिलके तथा श्वेत कत्था समान मात्रा में लीजिए। रीठे के छिलकों को तवे पर इतना भुने कि उनका तेल न जलने पाए। जब आपस में चिपकने लगे और भुन जाएं तो रीठे के छिलके व कत्थे दोनों को मिक्सर में पीस लीजिए। चार से आठ ग्रेन चूर्ण मक्खन के साथ खाने से बादी बवासीर नष्ट हो जाती है। स्वामी जगदीश्वरानंदजी का बताया यह एक अचूक नुस्खा है। इससे मस्से, खुजली में आराम मिलता है, रक्त जाता हो तो वह भी बंद हो जाता है। अगर छः माह बाद पुनः रोग के लक्षण उभरें तो सात दिन तक दोबार यह दवा लीजिए। इसके साथ तीन दिन नमक और सात दिन खटाई नहीं खाने के परहेज करना चाहिए।
विकल्पः इमली के छिलके रहित पचास ग्राम बीज को तवे पर भुन लें। फिर पीस कर चूर्ण बना लें। प्रातः छः ग्राम चूर्ण आधा कटोरी दही में कुछ दिन तक नियमित लेने से हर तरह की बवासीर में आराम मिलता है।
चटपटी चीजें, तलागला, कचोरी-समोसे, मैदे से बनी चीजें इन रोगों को बढ़ाती हैं। यथा संभव इनसे बचने के प्रयास कीजिए।
Very useful post. Piles is very increasing these days. It is very uncomfortable. Herbal supplement works effectively against piles.
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