डा. बीएम हेगड़े (बेले मोनप्पा हेगड़े) का जन्म 18 अगस्त 1938 को कर्नाटक के उडुपी जिले में हुआ। वे चिकित्सा वैज्ञानिक, शिक्षाविद, प्रखर वक्ता और अच्छे लेखक हैं। मनिपाल विश्वविद्यालय के कुलपति और भारतीय विद्याभवन जैसी प्रतिष्ठित शिक्षण संस्था
मंगलौर के केन्द्र प्रमुख रह चुके हैं। 1999 में उन्हें बीसी राय पुरस्कार और 2010 में पद्मभूषण से नवाजा गया। आपने कईं चिकित्सा पत्रिकाओं का संपादन किया, चिकित्सा से संबंधित अनेक लेख लिखे और पुस्तकें लिखीं। बिहार राज्य हेल्थ सोसायटी कीविशेषज्ञ समिति के चेयरपर्सन रहे और लंदन विश्वविद्यालय में कार्डियोलाजी के अतिथि प्राध्यापक रहे। एक प्रखर वक्ता के रूप में आप दुनियाभर में चिकित्सा और रोगों को लेकर प्रचलित भ्रांतियों का निवारण करते रहते हैं। मेडिकल चिटिंग के प्रति लोगों को जागरूक करते रहते हैं। यूट्यूब पर आपके अनेक व्याख्यानों के विडियो उपलब्ध हैं। इनमें रामकृष्ण मिशन बंगलोर में दिए गए व्याख्यान तो अद्भुत हैं। उनके इन व्याख्यानों का सार यहां मैं संक्षेप में पेश कर रहा हूं। अगर इसके बाद विस्तार से सुनने की लालसा जगे तो यूट्यूब पर जरूर सुनिए।
* इलाज की वर्तमान पद्धति अप्रासंगिक है। यह बहुत ही नुक्सानदायक है। यह अल्प उपचार, अति उपचार या गलत उपचार की ओर ले जाती है।
* बुढ़ापे अधिकांश मरीजों की समस्या दवाओं के दुष्प्रभाव से संबंधित होती है। लंबे समय तक ढेर सारी रासयनिक दवाएं लेने के कारण ऐसा होता है।
* अधिकांश रोग हमारे मन की उपज है। आप जैसा सोचते हैं, वैसे हो जाते हैं। अगर आप स्वयं को बूढ़ा या अशक्त मानेंगे तो वैसे ही हो जाएंगे।
* मानव शरीर में कोशिकाओं का सृजन और विसर्जन सतत चलता रहता है। मानव देह अरबों खरबों कोशिकाओं का एक पुंज है। तीन माह में शरीर की सभी कोशिकाएं नष्ट होकर उनका स्थान नई कोशिकाएं ले लेती हैं।
* आपके विचार आपकी कोशिकाओं को प्रभावित करते हैं। नकारात्मक विचार उन्हें बूढ़ा और रुग्ण बना देते हैं। हमेशा सकारात्मक विचार रखने वाला व्यक्ति चिरयुवा रह सकता है।
* मधुमेह कोई रोग नहीं है। अगर व्यक्ति सोच समझ कर खाए, नियमित व्यायाम करे और सफेद शकर से परहेज करे तो मधुमेह से बचा जा सकता है।
* आपके माता-पिता को डायबिटिज है तो आपको भी हो जाएगी, यह भय ही आपको मार डालता है। माता-पिता की डायबिटिज का औलाद पर असर लाखों में एक पर होता है।
* रोज-रोज ब्लडशुगर की जांच कतई जरूरी नहीं है। तीन माह में एक बार जांच कराएं। ग्लाइको साइलेटेड हिमोग्लोबिन का स्तर 7.5 से नीचे मेंटेन करें। यदाकदा शुगर बढ़ भी जाए तो घबराने की कोई आवश्यकता नहीं।
* चिकित्सा संबंधी अधिकांश लेख निहित स्वार्थी तत्वों द्वारा लिखवाए जाते हैं। प्रसिद्ध लेखक मार्क ट्वेन ने कहा है-इन्हें कदापि न पढ़े छापे की यह भूल आपकी जान ले लेगी।
* हर व्यक्ति को अपना ऐसा एक फेमिली डाक्टर रखना चाहिए, जो एक मित्र के समान सही सलाह दे। कोई भी समस्या हो तो पहले उसे बताएं। सीधे-सीधे विशेषज्ञ के पास न जाएं। विशेषज्ञ आपकी शारीरिक स्थिति से परीचित नहीं होता।
* वृद्धावस्था में थोड़ा उच्च रक्तचाप (हाई ब्लडप्रेशर) आवश्यक होता है। इसके लिए लगातार दवाई लेना जरूरी नहीं है। लंबे समय तक दवाई लेने के कईं अन्य जोखिम हो सकते हैं।
* अगर बीपी या किसी बीमारी की कोई दवा ले रहे हैं, तो एकदम बंद न करें। अपने फेमिली डाक्टर की सलाह से धीरे-धीरे मात्रा कम करते हुए बंद करें।
* अपनी जीवनशैली को बदलिए। संतुलित आहार, नियमित व्यायाम, सकारात्क सोच, रोज भरपूर नींद और तंबाकू, सिगरेट, शराब से परहेज आपको सदैव स्वस्थ रखेंगे।
* लालच, ईर्ष्या, क्रोध और घमंड से बचें, ये आपको मृत्यु के मार्ग पर ले जाएंगे। प्रेम, भाईचारा और विश्वबंधुत्व की भावना हमारे प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करते हैं।
* अपने शरीर और मस्तिष्क को यथा संभव सक्रिय रखिए, अगर आप इनका समुचित इस्तेमाल नहीं करेंगे तो इन्हें खो देंगें।
* दिमाग की शांति के लिए संगीत, योग, ध्यान और प्राणायाम करें। दूसरों की भलाई और निस्वार्थ सेवा जैसे कार्य व्यक्ति को सदैव स्वस्थ रखने में सहायक हैं।
* अपने दिल को स्वस्थ रखने के लिए दिलदार बनिए। दिमाग में कभी नकारात्मक विचार न लाएं। आवश्यकता जितना लीजिए, लोभ नर्क का द्वार है।
* दवाई अत्यंत जरूरी हो तो ही लीजिए। हर रोग के लिए कोई गोली नहीं है। हर गोली के बाद कोई न कोई रोग जरूर हो सकता है।
* रोज कम से कम दो घंटे धूप में गुजारिए। धूप न केवल बढिया एंटीबायोटिक है, बल्कि शरीर के प्रतिरक्षा तंत्र को मजबूत करती है।
* कोलेस्ट्रोल बढ़ना कोई बीमारी नहीं, यह एक बाडी पेरामिटर है। 90 फीसद कोलेस्ट्रोल का निर्माण हमारे लिवर द्वारा हमारे शरीर की भलाई के लिए होता है।
* शाकाहारी भोजन, कार्बोहाइड्रेड वाले पदार्थों का कम से कम सेवन और नियमित वाकिंग से आप इसे नियंत्रित रख सकते हैं।
* 1.72 ट्रिलियन डालर का व्यवसाय इस समय कोलेस्ट्रोल घटाने की दवाओं का हो रहा है। ये दवा बनाने वाली कंपनियों अरबों का मुनाफा कमा रही हैं।
* कैंसर कोई बीमारी नहीं है। यह कोशिकाओं के नष्ट होने की एक सहज प्रक्रिया है। सामान्य कोशिकाओं और कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं में कोई अंतर नहीं होता।
* दुनिया में अब तक ऐसी कोई दवाई नहीं बनी जो चुन-चुन कर कैंसर ग्रस्त कोशिकाओं को ही नष्ट करे।
* कैंसर पर नियंत्रण की कई कारगर वैकल्पिक पद्धतियां हैं, मगर निहित स्वार्थी तत्वों की वजह से इनका प्रचार प्रसार नहीं हो पाता।
* मौत के भय से बचिए, मौत जीवन का अंत नहीं एक पड़ाव है। हमारे प्रयास यह होना चाहिए कि अस्पताल के आईसीयू की यातनाओं से बचते हुए आनंदपूर्वक मृत्यु का वरण करें।
* 500 प्रकार के एंटीबायोटिक बाजार में आ चुके हैं, मगर इनमें से एक भी जर्म को मारने में कारगर नहीं है।